यूपी में इंडी गठबंधन और एनडीए को पीछे छोड़ेगी बसपा : विश्वनाथ पाल (आईएएनएस साक्षात्कार)

लखनऊ, 16 अप्रैल . बहुजन समाज पार्टी (बसपा) उत्तर प्रदेश के सियासत में चुनाव दर चुनाव कमजोर होती जा रही है. मायावती ने यूपी में बढ़ते ओबीसी के दखल के बीच अति पिछड़े समाज से आने वाले विश्वनाथ पाल को बसपा प्रदेश का अध्यक्ष बनाया है. 2024 के लोकसभा चुनाव की जिम्मेदारी विश्वनाथ पाल के कंधों पर है. उनका दावा है कि इंडिया और एनडीए गठबंधनों से बड़े दल के रूप में बसपा उभरेगी.

उन्होंने चुनाव को लेकर हर मुद्दों पर से खुलकर बातचीत की है. पेश है बातचीत के कुछ अंश :

सवाल : बसपा लोकसभा चुनाव लड़ रही है, इस चुनाव में कितनी सीटों पर जीत मिलने की उम्मीद है?

जवाब : बसपा पूरे प्रदेश व देश में बड़ी मजबूती से चुनाव लड़ रही है. बहन जी के निर्देश पर छह माह पहले से प्रदेश के 403 विधानसभा सीटों पर दो सेक्टरों का कैडर कैंप चल रहा था, जिसमें बड़ी संख्या में बूथ सेक्टर कमेटी और हर समाज के लोग उसमें इकट्ठा होते थे. बसपा कैडर बेस पार्टी है. इससे पार्टी को बहुत बढ़िया परिणाम मिलेगा. पार्टी सत्तारूढ़ दल के एनडीए और विपक्षी दल इंडिया से बड़ी पार्टी बनकर उभरेगी.

सवाल : पहले चरण में 8 सीटों पर चुनाव है, कितने पर जीत की संभावना दिख रही है?

जवाब : यह तो परिणाम आने के बाद पता चलेगा. लेकिन मुझे पूरा विश्वास है कि इंडिया और एनडीए गठबंधनों के आगे बड़े दल के रूप में सामने आएगी.

सवाल : आजाद समाज पार्टी के मुखिया चंद्रशेखर से बसपा डर रही है क्या ? क्या उनकी ओर बसपा का कोर वोटर शिफ्ट हो रहा है ? क्योंकि बसपा के नेता उन पर बार बार हमलावर हो रहे है ?

जवाब : उनसे कोई फर्क पड़ने वाला नहीं. चंद्रशेखर अनुसूचित और अनुसूचित जनजाति के हितैषी बनते थे. जो दल (सपा) ने इन जातियों को बड़ा नुकसान किया हो, भला उन्हें टिकट देंगे. वह उनके पीछे घूमते रहे. कोई भला नहीं हुआ. इनके पहले उदित राज ने भी दल बनाया था. बाद में अपना नाम बदल कर भाजपा में टिकट लेकर एमपी बन गए. इसके बाद भाजपा ने उन्हें किनारे कर दिया है. ऐसे लोगों को समाज समझ चुका है. इन लोगों से बसपा को कोई फर्क नहीं पड़ेगा.

सवाल : अगर बात करें काशीराम जी की, बताएं जिन मार्गों और उद्देश्यों पर बसपा चल रही है तो अगर कोई दूसरा उस पर चले तो आप नाराज क्यों हो जाते हैं?

जवाब : कांशीराम जी के बताए मार्गों और उद्देश्यों पर इस देश में कोई नहीं चलता. लेकिन नाटक कर सकता है. जैसे हमने देखा हमारे दल से टूटकर समाजवादी पार्टी में गए लोग कहते हैं कि अब कांशीराम जी का मिशन अखिलेश यादव पूरा करेंगे. लेकिन मेरा कहना है कि जो समाजवादी पार्टी कांशीराम जी के नाम से बने जिले को नहीं हजम कर पाई, वह उनके मिशन को कैसे पूरा करेंगे. बहनजी ने बड़े जिलों को छोटे-छोटे भागों में बांटकर महापुरुषों के नाम पर जिला बनाया था, उसमें एटा भी था. इंडिया गठबंधन के लोग कहते हैं हम पीडीए हैं. पिछड़ा, दलित अल्पसंख्यक और उसके साथ-साथ सर्व समाज के लोगों की भी बात होनी चाहिए.

सवाल : बसपा में अब प्रथम पंक्ति के नेता बचे नहीं, इसका क्या कारण ?

जवाब : यह सब दल में होता है. भाजपा में देखें तो जितने बड़े चेहरे थे वह अब नजर नहीं आते. बसपा कांशीराम और मायावती द्वारा तैयार की हुई ऐसी नर्सरी है जो हर समाज के लोगों को भागीदारी दी गई. जो दूसरी जगह गए हैं, वह वहां चाहे जिस पद पर हो, लेकिन उनकी वह हैसियत जो बसपा में थी वह वहां नहीं है. ऐसे लोगों से समाज का कोई भला नहीं हो सकता है. कहीं न कहीं अपने परिवार या बेटे बेटी को चुनाव लड़वाने के लालच में गए हैं. किसी के जाने से कोई फर्क नहीं पड़ेगा. बसपा दोबारा से फिर सर्व समाज के नेता को तैयार कर चुकी है. पूरे दम खम से चुनावी मैदान में हैं.

सवाल : भाजपा पर विपक्ष के लोग बार-बार सीबीआई और ईडी दुरुपयोग का आरोप लगा रहे हैं. इसको कैसे देखते हैं?

जवाब : जिनके ऊपर आरोप था, इनके घर सीबीआई और ईडी ने छापेमारी की थी. आज वह भाजपा में शामिल हो गए. क्या वाहन जाकर पाक साफ हो गए. अब उन्हें कोई जांच एजेंसी नहीं ढूंढ रही है. इससे संदेह होता है. बात अगर इलेक्टोरल बॉन्ड की करें तो उसमें बसपा शामिल नहीं है. हमारी पार्टी गरीब कार्यकर्ताओं के बल पर चलती है. डबल इंजन की सरकार ने गरीब, नौजवानों और किसानों का कोई भला नहीं किया.

सवाल : बसपा अपने उम्मीदवारों का नाम पहले ऐलान करती थी. लेकिन इस बार देर कर दी. क्या उम्मीदवार मिल नहीं रहे थे?

जवाब : हमारे यहां सभी सीट पर उम्मीदवार बहुत पहले मिल गए थे बसपा का दूसरे दलों से अलग सिस्टम है. बहन जी के निर्देश पर हर लोकसभा क्षेत्र में पैनल प्रभारी घोषित कर दिए जाते हैं. उसके बाद जैसे-जैसे चरणबद्ध तरीके से चुनाव आगे बढ़ता जाता है, वैसे-वैसे बहन जी उम्मीदवारों की सूची जारी कर देती हैं. हर जगह हमारे प्रभारी पहले से घोषित हैं, उनकी सूची जारी हो रही है. उसमें कोई देरी नहीं हुई है.

सवाल : प्रचार के लिए अभी तक सिर्फ आकाश आनन्द जी पश्चिमी यूपी में उतरे हैं. आप कबसे उतरेंगे?

जवाब : मैं लगातार पूरे प्रदेश में जहां-जहां कार्यक्रम लगा है, जा रहा हूं. अंबेडकरनगर और कौशांबी में रहा हूं. कल फैजाबाद और सुल्तानपुर जाऊंगा.

सवाल : जब आप विपक्ष के मुद्दे को इतनी मुखरता से उठा रहे हैं भाजपा का विरोध हो या अन्य कई आंदोलन हो, तो फिर आप गठबंधन के साथ क्यों नहीं आए?

जवाब : गठबंधन के पास है क्या, पहली बैठक जब इन लोगों ने बिहार में किया था, उसी दिन बहन जी ने कहा था दिल मिले या न मिले, दल बंधन मिलाते रहें. वह रिजल्ट सामने आया है. मैंने तो पहले ही बोल दिया था कि जो यह इंडिया गठबंधन का पहाड़ तैयार कर रहे हैं उनके सारे पिलर भाजपा के भेजे हुए हैं. बहन जी बहुत सूझबूझ की नेता हैं. जो भी बहन जी ने कहा था वो सामने दिखाई पड़ रहा है. आप देख रहे होंगे. वहीं नितीश जी पूरे देश में इंडिया गठबंधन बनाने के लिए निकले थे, वही सबसे पहले भागकर भाजपा में चले गए. वही ममता दीदी हर इंडिया गठबंधन में जा रहीं थी और वह पहले किनारा कर लिया. तो इंडिया गठबंधन के पास है क्या. यूपी में मुझे कुछ दिखाई नहीं पड़ता. यूपी में 2022 में अखिलेश यादव के साथ जयंत चौधरी, ओपी राजभर, संजय चौहान, पल्लवी पटेल और महान दल थे. तब ये भाजपा को नहीं रोक पाए. आज तो उनके पास कोई है ही नहीं. इंडिया गठबंधन नाम से थोड़े ही कुछ हो जाएगा. इनके साथ मात्र कांग्रेस है, जिसके पास यूपी में मात्र 2 प्रतिशत वोट है. कांग्रेस के पास एक और सपा के पास 5 सांसद है. वहीं बसपा के पास 10 सांसद हैं. जिस हिसाब से मुस्लिम समाज बसपा के साथ आ रहा है, सपा के पास भी 8 से 10 प्रतिशत वोट बचेगा. बसपा के पास 25 से 26 प्रतिशत वोट दलित का है. इसके अलावा 20 प्रतिशत मुसलमान आ जाएंगे तो 40 से 45 प्रतिशत वोट हो जाएगा. साथ ही कुछ पिछड़े समाज को वोट मिल जाएगा. इस बार बसपा बड़े दल के रूप में सामने आएगी.

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