नई दिल्ली . देहव्यापार और बंधुआ मजदूरी के लिए बांग्लादेश के रास्ते मानव तस्करी का कारोबार चरम पर तव रहा है. भारत-बांग्लादेश सीमा पर सीमा सुरक्षाबल ने एंटी ह्यूमन ट्रैफिकिंग यूनिट की तैनाती का फैसला किया है. हाल में गठित की गई एएचटीयू की तैनाती खास तौर पर मानव तस्करी की वारदातों पर लगाम कसने के लिए की गई है. फिलहाल, बीएसएफ मुख्यालय की तरफ से इस विशेष यूनिट के तहत करीब एक दर्जन टीमों को स्वीकृति दी गई है.
इन टीमों को भारत-बांग्लादेश बार्डर पर मानव तस्करी के लिहाज से चिह्नित किए गए अतिसंवेदनशील इलाकों में तैनात किया जाएगा, ताकि बॉर्डर के रास्ते होने वाली मानव तस्करी की वारदातों पर लगाम कसी जा सके. बीएसएफ के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार लॉकडाउन (Lockdown) के बाद बांग्लादेश के रास्ते मानव तस्करी की वारदातों में तेजी से इजाफा हुआ है. हर महीने मानव तस्करी की औसतन तीन से चार कोशिशें की जा रही हैं. अब तक की गई ज्यादातर कोशिशों को बीएसएफ की टीमों ने सफलतापूर्वक नाकाम किया है.
उन्होंने बताया कि बांग्लादेश से चंद हजार रुपयों के लालच में युवक और युवतियों की तस्करी बांग्लादेश से भारत में की जा रही है. हिरासत में लिए गए कुछ तस्करों से पूछताछ के दौरान, यह बात सामने आई थी कि युवकों को भारत के विभिन्न बड़े शहरों में भेजकर बंधुआ मजदूरों की तरह काम लिया जाता है. वहीं, तस्करी के जरिए भारत लाई गईं ज्यादातर युवतियों को जिस्मफरोशी के दलदल में ढकेल दिया जाता है.
बीएसएफ के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि 5 जनवरी को बीएसएफ की एएचटीयू टीम ने तस्करों के कब्जे से एक 15 वर्षीय किशोरी को मुक्त कराया है. यह किशोरी मूल रूप से नागालैंड की दीमापुर इलाके की रहने वाली है. तस्करों ने इस किशोरी का अपहरण दीमापुर इलाके के एक गांव से किया था. इसके बाद किशोरी को असम के बजारीचेरा पुलिस (Police) स्टेशन के अंतर्गत आने वाले जरजोरी गांव में छिपाकर रखा गया था.
तस्कर इस किशोरी को अंतरराष्ट्रीय सीमा पार कराकर बांग्लादेश ले जाना चाहते थे. तस्कर अपने मंसूबों से सफल हो पाते, इससे पहले बीएसएफ की एएचटी यूनिट ने तस्करों के कब्जे से मुक्त करा लिया. हालांकि इस दौरान अंधेरे का फायदा उठाकर तस्कर मौके से भागने में सफल हो गया. बीएसएफ ने इस किशोरी को चाइल्ड वेलफेयर कमेटी के हवाले कर दिया है.
बीएसएफ अधिकारी ने बताया कि हाल में भारत-बांग्लादेश की सीमा से एक बांग्लादेशी युवती को हिरासत में लिया गया था. इस युवती को महज एक हजार रुपये के एवज में बांग्लादेश से भारत भेजा गया था. भारत आने के बाद उसे जिस्मफरोशी के धंधे में ढकेल दिया गया था. यह युवती बीते एक साल से बेंगलुरु (Bangalore) में जिस्मफरोशी कर रही थी. आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, युवकों को बंधुआ मजदूर के तौर पर काम कराने के लिए लाया जाता है. इन युवकों को देश के विभिन्न शहरों में भेजा जाता है. जहां उनसे मजदूरी कराई जाती है. इनको मजदूरी के एवज में मिलने वाली रकम तस्कर खुद हड़प लेते हैं.