हैदराबाद, 8 सितंबर . भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) ने Monday को घोषणा की कि वह उपराष्ट्रपति चुनाव में मतदान से दूर रहेगी.
पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष के. टी. रामाराव (केटीआर) ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि चूंकि चुनाव में नोटा का विकल्प नहीं है, इसलिए पार्टी ने मतदान से दूरी बनाने का फैसला किया है.
उन्होंने याद दिलाया कि बीआरएस ने उस गठबंधन को समर्थन देने की पेशकश की थी जो तेलंगाना के लिए दो लाख टन यूरिया की आपूर्ति सुनिश्चित करे. लेकिन न तो एनडीए और न ही इंडिया गठबंधन ने किसानों के लिए यूरिया उपलब्ध कराने की बात मानी, जिसके चलते पार्टी ने मतदान से दूर रहने का निर्णय लिया.
केटीआर ने 20 अगस्त को कहा था कि बीआरएस उसी पक्ष को समर्थन देगी, जो किसानों की जरूरत पूरी करने के लिए यूरिया उपलब्ध कराएगा.
उन्होंने स्पष्ट किया कि बीआरएस न तो एनडीए के साथ है और न ही इंडिया गठबंधन के साथ, बल्कि यह स्वतंत्र है. उन्होंने कहा, “हम एक स्वतंत्र पार्टी हैं. हमारे कोई बॉस दिल्ली में नहीं हैं. तेलंगाना की जनता ही हमारे असली बॉस हैं.”
बीआरएस के पास राज्यसभा में चार सांसद हैं, जबकि Lok Sabha में कोई प्रतिनिधित्व नहीं है. पार्टी ने उपराष्ट्रपति चुनाव को लेकर अपने सांसदों, विधायकों, विधान परिषद सदस्यों और अन्य नेताओं से चर्चा के बाद यह निर्णय लिया.
केटीआर ने अपनी बहन और पूर्व सांसद के. कविता के बारे में सवालों का जवाब देने से इनकार कर दिया. कविता को हाल ही में बीआरएस अध्यक्ष और पूर्व Chief Minister के. चंद्रशेखर राव (केसीआर) ने पार्टी विरोधी गतिविधियों के आरोप में निलंबित कर दिया था, जिसके बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया.
कविता ने अपने चचेरे भाइयों पूर्व मंत्री टी. हरीश राव और पूर्व सांसद जे. संतोष कुमार पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा था कि उन्हीं के कारण केसीआर पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे. यह विवाद उस समय गहराया जब राज्य की कांग्रेस सरकार ने बीआरएस शासनकाल में बनी कालेश्वरम सिंचाई परियोजना में कथित अनियमितताओं की जांच सीबीआई को सौंपने का फैसला किया.
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डीएससी/