तेलंगाना में बीआरएस की स्थानीय चुनावों पर नजर, खोया हुआ आधार फिर से हासिल करने की कोशिश

हैदराबाद, 27 जुलाई . भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) तेलंगाना में आगामी स्थानीय निकाय चुनावों पर ध्यान केंद्रित कर रही है ताकि पिछले साल सत्ता और Lok Sabha चुनावों में मिली हार के बाद खोया हुआ आधार फिर से हासिल कर सके. सितंबर के अंत तक ग्राम पंचायत चुनाव होने की संभावना है, जिसके लिए बीआरएस के शीर्ष नेता जिलों का दौरा कर कार्यकर्ताओं को सक्रिय कर रहे हैं.

बीआरएस के कार्यकारी अध्यक्ष के. टी. रामा राव (केटीआर) इस अभियान की अगुवाई कर रहे हैं. वे कार्यकर्ताओं से स्थानीय चुनावों को गंभीरता से लेने और 32 जिला परिषदों में से 16-18 पर जीत सुनिश्चित करने की अपील कर रहे हैं. केटीआर ने इन चुनावों को 2027 के विधानसभा चुनावों से पहले ‘प्री-फाइनल’ करार दिया है.

वे नेताओं से मजबूत उम्मीदवार चुनने और बहुमत हासिल करने को कह रहे हैं. उनका कहना है कि अगर बीआरएस अधिकांश स्थानीय निकाय जीत लेती है, तो सरकार उनकी परेशानियां नहीं बढ़ाएगी.

बीआरएस कांग्रेस सरकार की पिछले 20 महीनों की नाकामियों को उजागर कर रही है, खासकर 2023 के चुनावी वादों को पूरा न करने का आरोप लगा रही है. केटीआर ने जनसभाओं में लोगों से पूछा कि क्या उन्हें कांग्रेस के वादे किए गए लाभ मिल रहे हैं. वे कांग्रेस पर सभी वर्गों के साथ धोखा करने का आरोप लगा रहे हैं. केटीआर ने कार्यकर्ताओं से हर गांव और गली में जाकर कांग्रेस के ‘विश्वासघात’ को उजागर करने और बीआरएस शासन के दौरान तेलंगाना की प्रगति को बताने को कहा है.

पार्टी विभिन्न जाति समूहों का समर्थन जुटाने की कोशिश में भी जुटी है. येल्लारेड्डी में दलितों की एक सभा में केटीआर ने आरोप लगाया कि कांग्रेस ने बीआरएस द्वारा शुरू की गई ‘दलित बंधु’ योजना को बंद कर दलितों के साथ धोखा किया है. बीआरएस पिछड़ा वर्ग (बीसी) समुदाय का समर्थन पाने के लिए भी सभा आयोजित कर रही है, क्योंकि स्थानीय निकाय चुनावों में बीसी आरक्षण पर अनिश्चितता बनी हुई है.

मार्च में विधानसभा ने शिक्षा, रोजगार और स्थानीय निकायों में बीसी के लिए 42 प्रतिशत आरक्षण के विधेयक पारित किए थे, जो राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए केंद्र को भेजे गए. केंद्र से जवाब न मिलने पर कांग्रेस सरकार ने अध्यादेश जारी करने का फैसला किया, लेकिन राज्यपाल ने अभी तक इस पर सहमति नहीं दी है.

2023 में बीआरएस ने 119 में से केवल 39 विधानसभा सीटें जीती थीं, और 10 विधायकों के कांग्रेस में शामिल होने और सिकंदराबाद कैंटोनमेंट उपचुनाव हारने से यह संख्या 28 रह गई. बीआरएस अध्यक्ष और पूर्व Chief Minister के. चंद्रशेखर राव (केसीआर), जो स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे हैं, ने पार्टी की कमान केटीआर और अपने भतीजे टी. हरीश राव को सौंपी है.

हरीश राव भी कार्यकर्ताओं से सैन्य अनुशासन के साथ काम करने और कांग्रेस की वादाखिलाफी का मुद्दा उठा रहे हैं. हालांकि, केसीआर परिवार में मतभेद पार्टी के लिए चुनौती बन रहे हैं. केसीआर की बेटी के. कविता ने अपने पिता को ‘देवता’ और उनके आसपास के लोगों को ‘राक्षस’ बताया.

कविता ने कहा कि वह केवल केसीआर के नेतृत्व में काम करेंगी. उन्होंने तेलंगाना जागृति के बैनर तले विरोध प्रदर्शन भी शुरू किया, जिससे पार्टी की मुश्किलें बढ़ी हैं. कविता ने ओबीसी आरक्षण के लिए कांग्रेस के अध्यादेश का स्वागत किया, जो पार्टी की आधिकारिक राय के विपरीत है. तेलंगाना हाई कोर्ट ने 25 जून को सरकार को तीन महीने में स्थानीय चुनाव कराने का आदेश दिया था.

वीकेयू/केआर