बीआरएस ने बुनकरों की हालत को लेकर तेलंगाना सरकार पर साधा निशाना

हैदराबाद, 4 अप्रैल . तेलंगाना की मुख्य विपक्षी पार्टी भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) ने गुरुवार को कांग्रेस सरकार पर निशाना साथा. बीआरएस ने आरोप लगाया है कि वह पिछली सरकार द्वारा शुरू की गईं सभी कल्याणकारी योजनाओं के कार्यान्वयन को रोककर राजनीतिक कारणों से राज्य में बुनकरों को दंडित कर रही है.

बीआरएस पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष केटी रामा राव ने राज्य में बुनकरों की गंभीर स्थिति को लेकर मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी को एक खुला पत्र लिखा. उन्होंने सरकार से बुनकरों के लिए चल रही सभी कल्याणकारी और विकास गतिविधियों को जारी रखने की अपील की.

पिछले चार महीनों में, बुनकरों के लिए पिछली सरकार की सभी कल्याणकारी गतिविधियों को वर्तमान सरकार ने रोक दिया है, जिससे बुनकर समुदाय में संकट पैदा हो गया है.

उन्होंने याद दिलाया कि कृषि क्षेत्र में कुप्रबंधन के कारण राज्य में पहले से ही किसान आत्महत्या कर रहे हैं. केटीआर ने अपने पत्र में अफसोस जताया कि दुर्भाग्य से, इसी तरह की प्रशासनिक लापरवाही के कारण गरीब बुनकर समुदाय में संकट पैदा हो रहा है, बुनकर आत्महत्या भी कर रहे हैं.

उन्होंने अपने खुले पत्र में पिछली सरकार की कल्याणकारी गतिविधियों जैसे- यार्न सब्सिडी सीधे बुनकरों के खातों में जमा की गई, बुनकरों के लिए बीमा लाभ और सरकारी कपड़ा ऑर्डर सीधे बुनकरों को दिए जाने के बारे में बताया.

केटीआर ने याद दिलाया कि पिछली सरकार के शासन के तहत दशकों के संकट के बाद, बीआरएस सरकार ने तत्कालीन मुख्यमंत्री केसीआर के नेतृत्व में बुनकरों के लिए स्थिति को सुधारने का प्रयास किया था.

पिछले वर्षों के विपरीत, अभूतपूर्व रूप से बड़े बजट आवंटित करने की राज्य सरकार की पहल से बुनकरों के लिए कर्ज माफी, चेनेथा मित्रा, नेथन्नकु भीमा, बथुकम्मा साड़ी कार्यक्रम, स्वास्थ्य बीमा और हथकरघा तथा पावरलूम आदि के लिए दो अलग-अलग निगमों के निर्माण जैसे बुनाई कल्याण कार्यक्रमों की शुरुआत हुई.

केटीआर ने कहा कि वर्तमान सरकार ने सभी बुनाई कल्याण गतिविधि, खास कर बथुकम्मा साड़ी उत्पादन कार्यक्रम को रोक दिया है, जिससे राज्य में लगभग 30 हजार पावरलूम बुनकरों के बीच संकट पैदा हो गया है.

चुनाव के दौरान आदर्श आचार संहिता के कारण लंबित बिलों का भुगतान नहीं होने से बुनकरों को आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है, जिसका असर पावरलूम मजदूरों पर भी पड़ रहा है.

पहले ही, कुछ पावरलूम मजदूरों ने आत्महत्या कर ली है, जो कांग्रेस प्रशासन के उन भयानक वर्षों की याद दिलाती है जब सिरसिला बुनकरों की आत्महत्या के लिए जाना जाता था.

केटीआर ने कांग्रेस सरकार से इन बुनाई कल्याण गतिविधियों को राजनीतिक चश्मे से न देखने का अनुरोध किया और सरकार से सभी चल रही कल्याणकारी गतिविधियों को जारी रखने का आग्रह किया. उन्होंने बथुकम्मा साड़ियों के ऑर्डर जारी करने की भी मांग की, जिससे राज्य के अधिकांश बुनकर समुदाय को मदद मिले.

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