ब्रिटेन को चाहिए भारत के डॉक्टर, निकाली 2000 जॉब, नहीं होगा कोई एग्जाम, NHS करेगा फास्ट-ट्रैक भर्ती

ब्रिटेन डॉक्टरों की भारी कमी से जूझ रहा है. अपनी इस कमी को दूर करने के लिए ब्रिटेन ने भारत की मदद मांगी है. ब्रिटेन को भारतीय डॉक्टर्स की जरूरत है. इसके लिए यूके की एजेंसी राष्ट्रीय स्वास्थ्य सेवा (NHS) ने एक पहल का आगाज किया है. इसके तहत ब्रिटेन भारत से 2,000 डॉक्टर्स की भर्ती करेगा. ये भर्ती काफी तेजी से फास्ट-ट्रैक मोड पर की जाएगी. इसके लिए Doctors को भारत में ही ट्रेनिंग दी जाएगी.

NHS Doctors training in India: कहां होगा ट्रेनिंग सेंटर

यूके में इंडियन डॉक्टर्स की वैकेंसी के लिए सेलेक्ट होने वाले पहले बैच के डॉक्टरों को भारत में 6 से 12 महीने का पोस्टग्रैजुएट प्रशिक्षण दिया जाएगा. प्रशिक्षण पूरा करने के बाद इन्हें ब्रिटेन के अस्पतालों में पोस्टिंग दी जाएगी. इस पूरी प्रक्रिया में गौर करने वाली बात ये है कि ट्रेनिंग पूरी करने वाले डॉक्टरों को प्रोफेशनल एंड लिंग्विस्टिक असेसमेंट्स बोर्ड (PLAB) की परीक्षा से छूट मिलेगी.

इस कार्यक्रम के तहत, NHS ने भारत के प्रमुख शहरों मुंबई, दिल्ली, नागपुर, गुरुग्राम, कालीकट, बेंगलुरु, चेन्नई, इंदौर और मैसूर में प्रमुख निजी अस्पतालों में प्रशिक्षण केंद्र बनाए हैं.

यूके में भारत के डॉक्टर: फायदे और नुकसान

कुछ लोगों का मानना है कि यह पहल NHS में डॉक्टरों की कमी दूर करने का एक अच्छा समाधान है. वहीं, कुछ को चिंता है कि इससे भारत की स्वास्थ्य प्रणाली में डॉक्टरों की कमी हो सकती है.

इंटरनल मेडिसिन फिजिशियन डॉ शुचिन बजाज के अनुसार, इस पहल से भारत पर कोई असर नहीं पड़ेगा. क्योंकि 2000 डॉक्टर बहुत कम संख्या है. भारत में हर साल 110,000 नए डॉक्टर बनते हैं. हालांकि NHS हॉस्पिटल्स द्वारा संचालित इस पहल में स्थायी रूप से रहने की गारंटी नहीं है. लेकिन ये नियुक्तियां मूल्यवान अनुभव दे सकती हैं. साथ ही भारत और ब्रिटेन के बीच नॉलेज और स्पेशलिटी के आदान-प्रदान से दोनों देशों के मेडिकल सिस्टम को फायदा होगा.

NHS से जुड़े ऑर्थोपेडिक सर्जन रवि भटके का कहना है कि NHS UK का विदेशी डॉक्टरों पर निर्भर रहने का एक लंबा इतिहास रहा है. उनके मेडिकल वर्कफोर्स का करीब 25 से 30 फीसदी हिस्सा ऐसे ट्रेन्ड डॉक्टर्स का होता है जो ब्रिटिश नहीं हैं. उन्होंने कहा कि ‘मेरी राय में यह पहल भारत से अधिक डॉक्टरों को ब्रिटेन जाने के लिए प्रेरित नहीं करेगी. क्योंकि भारत विकास कर रहा है और अब ब्रिटेन में यह आर्थिक रूप से उतना आकर्षक नहीं रहा. NHS भविष्य में विदेशी भर्ती में कटौती करने पर भी विचार कर रहा है.”