रियो डी जेनेरियो, 6 जुलाई . ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में जारी ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के पहले दिन रविवार को सदस्य देशों ने आतंकवाद के खिलाफ कड़ा रुख अपनाते हुए इस साल अप्रैल में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकवादी हमले की निंदा की.
ब्रिक्स समिट में पहले दिन की कार्यवाही के बाद अपनाए गए ‘रियो डी जेनेरियो घोषणापत्र’ में किसी भी आतंकी कृत्य की कड़ी निंदा करते हुए उसे “आपराधिक” और “अनुचित” बताया गया, चाहे उसका उद्देश्य कुछ भी हो, जब भी, जहां भी और जिसके द्वारा भी किया गया हो.
रियो घोषणापत्र के पैराग्राफ 34 में लिखा है, “हम 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर में हुए आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा करते हैं, जिसमें कम से कम 26 लोग मारे गए और कई अन्य घायल हुए. हम आतंकवादियों की सीमा पार आवाजाही, आतंकवाद के वित्तपोषण और सुरक्षित ठिकानों सहित सभी रूपों और अभिव्यक्तियों में आतंकवाद का मुकाबला करने की अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हैं.”
ब्रिक्स नेताओं ने संयुक्त रूप से कहा, “हम दोहराते हैं कि आतंकवाद को किसी भी धर्म, राष्ट्रीयता, सभ्यता या जातीय समूह से नहीं जोड़ा जाना चाहिए, और आतंकवादी गतिविधियों और उनके समर्थन में शामिल सभी लोगों को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए और प्रासंगिक राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार न्याय के कठघरे में लाया जाना चाहिए.”
उन्होंने कहा कि हम आतंकवाद के लिए शून्य सहिष्णुता सुनिश्चित करने और आतंकवाद का मुकाबला करने में दोहरे मानकों को अस्वीकार करने का आग्रह करते हैं. हम आतंकवाद का मुकाबला करने में राज्यों की प्राथमिक जिम्मेदारी पर जोर देते हैं और आतंकवादी खतरों को रोकने एवं उनका मुकाबला करने के वैश्विक प्रयासों को अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत अपने दायित्वों का पूरी तरह से पालन करना चाहिए, जिसमें संयुक्त राष्ट्र का चार्टर, विशेष रूप से इसके उद्देश्य और सिद्धांत, और प्रासंगिक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन और प्रोटोकॉल, विशेष रूप से अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार कानून, अंतर्राष्ट्रीय शरणार्थी कानून और अंतर्राष्ट्रीय मानवीय कानून शामिल हैं, जैसा भी लागू हो.
इससे पहले सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शांति और सुरक्षा पर कहा कि वैश्विक शांति और सुरक्षा सिर्फ एक आदर्श नहीं है, यह हम सभी के साझा हितों और भविष्य की बुनियाद है. एक शांतिपूर्ण और सुरक्षित वातावरण में ही मानवता का विकास संभव है. इस उद्देश्य को पूरा करने में ब्रिक्स की अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका है. हमारी साझा चुनौतियों का सामना करने के लिए हमें एकजुट होकर सामूहिक प्रयास करने होंगे और मिलकर आगे बढ़ना होगा.
उन्होंने कहा कि आतंकवाद आज मानवता के लिए सबसे गंभीर चुनौती बनकर खड़ा है. हाल ही में भारत ने एक अमानवीय और कायरतापूर्ण आतंकी हमले का सामना किया. 22 अप्रैल को पहलगाम में हुआ आतंकी हमला भारत की आत्मा, अस्मिता और गरिमा पर सीधा प्रहार था. यह हमला सिर्फ भारत पर नहीं, पूरी मानवता पर आघात था. इस दुख की घड़ी में जो मित्र देश हमारे साथ खड़े रहे, जिन्होंने समर्थन और संवेदना व्यक्त की, मैं उनका हार्दिक आभार व्यक्त करता हूं.
पीएम मोदी ने कहा कि आतंकवाद की निंदा हमारा ‘सिद्धांत’ होना चाहिए, सिर्फ ‘सुविधा’ नहीं. अगर पहले यह देखेंगे कि हमला किस देश में हुआ, किसके विरुद्ध हुआ तो यह मानवता के खिलाफ विश्वासघात होगा.
उन्होंने कहा कि आतंकवादियों के खिलाफ प्रतिबंध लगाने पर कोई संकोच नहीं होना चाहिए. आतंकवाद के पीड़ित और समर्थक को एक ही तराजू पर नहीं तौल सकते. निजी या राजनीतिक स्वार्थ के लिए आतंकवाद को मूक सम्मति देना, आतंक या आतंकियों का साथ देना, किसी भी अवस्था में स्वीकार्य नहीं होना चाहिए. आतंकवाद को लेकर कथनी और करनी में कोई अंतर नहीं होना चाहिए. अगर हम यह नहीं कर सकते तो यह प्रश्न स्वाभाविक है कि क्या आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को लेकर हम गंभीर हैं भी या नहीं?
प्रधानमंत्री ने कहा कि पश्चिम एशिया से लेकर यूरोप तक आज विश्व विवादों और तनावों से घिरा हुआ है. गाजा में जो मानवीय स्थिति है, वह बड़ी चिंता का कारण है. भारत का अडिग विश्वास है कि परिस्थितियां चाहे कितनी भी कठिन क्यों न हों, मानवता की भलाई के लिए शांति का पथ ही एकमात्र विकल्प है.
उन्होंने कहा कि भारत भगवान बुद्ध और महात्मा गांधी की भूमि है. हमारे लिए युद्ध और हिंसा का कोई स्थान नहीं है. भारत हर उस प्रयास का समर्थन करता है, जो विश्व को विभाजन और संघर्ष से बाहर निकालकर संवाद, सहयोग और समन्वय की ओर अग्रसर करे, एकजुटता और विश्वास बढ़ाए. इस दिशा में हम सभी मित्र देशों के साथ सहयोग और साझेदारी के लिए प्रतिबद्ध हैं.
पीएम मोदी ने अंत में सभी सदस्य देशों को अगले साल भारत की अध्यक्षता में होने जा रहे ब्रिक्स सम्मेलन के लिए आमंत्रित किया.
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डीकेपी/एकेजे