उम्र के साथ नाश्ते में देरी हो सकती है स्वास्थ्य के लिए हानिकारक: अध्ययन

New Delhi, 6 सितंबर . क्या आपके घर में माता-पिता या दादा-दादी सुबह देर से नाश्ता करते हैं? अगर हां, तो अब थोड़ा सतर्क हो जाने की जरूरत है. अमेरिका के मास जनरल बर्मिंघम के एक नए अध्ययन में ये सामने आया है कि उम्र बढ़ने के साथ देर से नाश्ता करने की आदत कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं को जन्म दे सकती है.

आखिर इस रिसर्च में ऐसा क्या पाया गया कि बुजुर्गों को लेकर नसीहत दी जाने लगी? इसके मुताबिक जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, लोगों का खाना खाने का समय देर से होने लगता है—खासकर सुबह का नाश्ता. लेकिन यह बदलाव छोटे-छोटे संकेत देता है कि कहीं शरीर में कुछ ठीक नहीं चल रहा है.

देर से नाश्ता करने से मानसिक थकान और डिप्रेशन, मुंह और दांतों की समस्याएं, दिनभर सुस्ती, और यहां तक कि समय से पहले मौत का खतरा भी थोड़ा बढ़ सकता है.

मैसाचुसेट्स जनरल हॉस्पिटल के पोषण वैज्ञानिक और सर्कैडियन बायोलॉजिस्ट, प्रमुख हसन दश्ती ने कहा, “हमारा शोध बताता है कि बुजुर्गों के खाने के समय में बदलाव, खासकर नाश्ते के समय में, उनकी समग्र स्वास्थ्य स्थिति का आसानी से पता लगाने योग्य संकेतक हो सकता है.”

दश्ती की टीम ने 64 वर्ष की औसत आयु वाले लगभग 3,000 ब्रिटिश निवासियों के रक्त के नमूनों सहित डेटा का विश्लेषण किया.

प्रतिभागियों से उनके भोजन और नींद की आदतों के बारे में पूछताछ की गई, ताकि शोधकर्ता उनके जागने और नाश्ता करने, रात के खाने और सोने के समय और नाश्ते और रात के खाने के बीच के समय की गणना कर सकें.

औसतन, प्रतिभागियों ने उठने के आधे घंटे बाद नाश्ता किया और सोने से पांच घंटे पहले रात का खाना खाया. नाश्ता आमतौर पर सुबह 8:22 बजे, दोपहर का भोजन दोपहर 12:38 बजे और रात का खाना शाम 5:51 बजे होता था.

प्रतिभागियों पर 20 से अधिक वर्षों तक नजर रखी गई, और शोधकर्ताओं ने पाया कि उम्र बढ़ने के प्रत्येक अतिरिक्त दशक के साथ नाश्ते और रात के खाने में कम से कम कुछ मिनटों की देरी होती थी.

शोध से पता चला है कि लगातार देर से खाना खाने से आपकी 24 घंटे की जैविक घड़ी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है, जिससे शुगर में वृद्धि और स्ट्रेस हार्मोन का स्तर बढ़ जाता है.

दो दशक की फॉलोअप अप स्टडी में, 2,300 से अधिक मौतें दर्ज की गईं.

शोधकर्ताओं ने गणना की कि देर से भोजन करने वाले समूह की 10 साल की जीवित रहने की दर 86.7% थी, जबकि जल्दी भोजन करने वाले समूह की 89.5% थी.

अध्ययन बताता है कि इस नाश्ते के भोजन को खाने से आपको लंबी उम्र जीने में मदद मिल सकती है. उन्होंने पाया कि जिन लोगों को पर्याप्त नींद लेने और भोजन तैयार करने में कठिनाई होती है, वे अक्सर देर से भोजन करने वाले समूह में होते हैं.

दशती ने कहा, “रोगी और चिकित्सक भोजन के समय की दिनचर्या में बदलाव को अंतर्निहित शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं की जांच के लिए एक प्रारंभिक चेतावनी संकेत के रूप में उपयोग कर सकते हैं.”

“इसके अलावा, वृद्ध वयस्कों को नियमित भोजन कार्यक्रम अपनाने के लिए प्रोत्साहित करना सेहतमंद रहने और दीर्घायु की व्यापक रणनीतियों का हिस्सा बन सकता है.”

उनके डेटा संग्रह में प्रतिभागियों की पारंपरिक भोजन समय के अलावा नाश्ते की आदतों या उनकी शारीरिक गतिविधि के स्तर को शामिल नहीं किया गया.

विशेषज्ञों का मानना है कि जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है, शरीर की सरकैडियन रिद्म (जैविक घड़ी) अधिक संवेदनशील हो जाती है. इस लय के अनुसार नियमित भोजन समय विशेषकर सुबह का पहला भोजन — यानी नाश्ता — शरीर के समग्र स्वास्थ्य, ऊर्जा स्तर, और मानसिक स्थिति को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है.

इस स्टडी के आधार पर सलाह दी गई कि विशेषकर 60 वर्ष से ऊपर के लोगों को अपने नाश्ते का समय निर्धारित कर लेना चाहिए और इसे रोजाना एक ही समय पर करना चाहिए. यह एक सरल लेकिन प्रभावी आदत हो सकती है जो लंबे समय तक सेहत बनाए रख सकती है.

बुजुर्गों में शरीर की ‘बायोलॉजिकल क्लॉक’ यानी जैविक घड़ी थोड़ी संवेदनशील हो जाती है. ऐसे में अगर खाना सही समय पर न लिया जाए, तो इसका असर सीधा उनके शरीर और दिमाग पर पड़ता है.

इस अध्ययन से स्पष्ट हुआ कि घर के बुजुर्गों को समय पर उठने और नाश्ता करने के लिए प्रेरित करना चाहिए, हल्का, पौष्टिक और पचने वाला नाश्ता सर्व करना चाहिए और सबसे जरूरी बात इसे कभी हल्के में नहीं लेना चाहिए. हमेशा याद रखें कि नाश्ता सिर्फ एक आदत नहीं, एक जरूरी हेल्थ हैबिट है जो जीवन की दिशा बदल सकती है!

केआर/