नई दिल्ली, 23 जुलाई . एक शोध में यह बात सामने आई है कि लड़कियों के मुकाबले लड़कों में ‘टाइप वन डायबिटीज’ विकसित होने का खतरा अधिक होता है.
शोध में खुलासा हुआ है कि 10 वर्ष की आयु के बाद लड़कियों में यह जोखिम काफी कम हो जाता है, जबकि लड़कों में जोखिम बना रहता है.
इसके अलावा ‘टाइप वन डायबिटीज’ का खतरा उन लड़कों में काफी अधिक होता है जिनके शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा उत्पादित एकल ऑटो एंटीबॉडी प्रोटीन अन्य प्रोटीनों पर हमला करते हैं.
ब्रिटेन के एक्सेटर विश्वविद्यालय की टीम ने कहा, ”पुरुषों का शरीर ऑटो एंटीबॉडी विकास से जुड़ा हो सकता है, जो जोखिम के आकलन में उनके शामिल करने के महत्व को दर्शाता है.”
अध्ययन में महत्वपूर्ण बात यह सामने आई कि अधिकांश ऑटोइम्यून बीमारियों के विपरीत पुरुषों में ‘टाइप वन डायबिटीज’ होने का जोखिम अधिक रहता है.
इस शोध से यह बात भी सामने आती है कि महिला और पुरुषों के बीच इम्यून सिस्टम, मेटाबोलिक और अन्य अंतर ‘टाइप वन डायबिटीज’ के चरणों के माध्यम से जोखिम पैदा कर सकते हैं.
इस शोध के लिए टीम ने ‘टाइप वन डायबिटीज’ से पीड़ित 235,765 लोगों का अध्ययन किया. उन्होंने ‘टाइप वन डायबिटीज’ के जोखिम की गणना करने के लिए कंप्यूटर और सांख्यिकीय मॉडल का उपयोग किया, जिसे भ्रमित करने वाले कारकों को समायोजित करने के बाद महिलाओं और पुरुषों के लिए अनुमानित पांच साल के जोखिम के रूप में देखा गया.
पुरुषों में ऑटो एंटीबॉडी अधिक पाए गए. बता दें कि महिलाओं में यह स्तर 5.0 प्रतिशत और पुरुषों में यह 5.4 प्रतिशत रहता है.
पुरुषों में कई ऑटो एंटीबॉडी के लिए सकारात्मक जांच की संभावना के साथ ‘टाइप वन डायबिटीज’ होने की संभावना भी अधिक थी.
इस बारे में अधिक शोध करने की सिफारिश करते हुए टीम ने कहा, ”लगभग 10 वर्ष की आयु में इस जोखिम से यह परिकल्पना उभरती है कि युवा अवस्था में कई तरह के हार्मोन इसमें भूमिका निभा सकते हैं.”
शोध के ये निष्कर्ष 9 से 13 सितंबर तक स्पेन के मैड्रिड में होने वाली यूरोपीय मधुमेह अध्ययन संघ की इस वर्ष की वार्षिक बैठक में प्रस्तुत किए जाएंगे.
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एमकेएस/