किताब का दावा, रोजमर्रा की चीजें खोना आपकी खराब याददाश्त से जुड़ा नहीं

नई दिल्ली, 29 अप्रैल . अगर आपको भी लगता है कि आपकी रोजमर्रा की चीजें जैसे चाबियां खोना आपकी खराब याददाश्त से जुड़ा है, तो आप गलत हैं. एक नई किताब से इस बात का खुलासा हुआ है कि ऐसी चीजें खोना हमेशा खराब याददाश्त से जुड़ी नहीं होती.

रोड आइलैंड कॉलेज और इंडियाना यूनिवर्सिटी के दो अमेरिकी प्रोफेसरों की नई किताब ‘द साइकोलॉजी ऑफ मेमोरी’ बताती है कि कोई भी अपनी याद रखने की शक्ति को बढ़ा सकता है. इसके साथ ही आपकी रोजमर्रा की चीजें जैसे चाबियां खोना सामान्य बात है.

पुस्तक में डॉ. मेगन सुमेराकी और एल्थिया नीड कमिंस्के ने कहा है कि जानकारी संग्रहित करना और उसे फिर से प्राप्त करना लोगों की सोच से कहीं अधिक जटिल है.

किताब में सीखने की क्षमता को बेहतर बनाने और सरल स्मरण शक्ति को बढ़ाने वाली तकनीकों के बारे में भी बताया गया है.

डॉ. कामिंस्के ने कहा, ”हम अपनी याददाश्त के बारे में सबसे अधिक जागरूक तब होते हैंं, जब हमें कुछ याद रखने में परेशानी होती है. याददाश्त कैसे काम करती है इसके बारे में हमारा अंतर्ज्ञान थोड़ा पक्षपाती हो सकता है.”

उन्‍होंने कहा, ”आपको यह जानकर आश्चर्य नहीं होगा कि हमारे मेमोरी सिस्टम को यह याद रखने के लिए डिजाइन नहीं किया गया है कि हमने अपना फोन, चाबियां या पानी की बोतलें कहां रखी हैं.”

”हालांकि हम यह अनुमान लगा सकते हैं कि यदि हम जीवन के लिए संघर्षरत होते, जहां निर्जलीकरण एक चिंता का विषय हो, तो हम जल स्रोतों के बारे में अधिक जागरूक होते.”

लेखकों ने कहा, ”जो लोग फिटनेस से जुड़े होते हैं वह चीजें याद रखने में बेहतर होते हैं.”

इसके अलावा, किताब में दर्शाया गया है कि शराब, नींद की कमी और कैफीन से याददाश्त कैसे खराब हो सकती है.

लेखकों ने स्मृति-बढ़ाने वाली तकनीकों जैसे ‘पुनर्प्राप्ति अभ्यास’ की रणनीति का सुझाव दिया है. उदाहरण के लिए, हर बार जब आप किसी नए सहकर्मी को देखें तो जानबूझकर उसका नाम संबोधित करने से आपको नाम याद रखने में मदद मिल सकती है.

एमकेएस/जीकेटी