नोएडा प्राधिकरण के खिलाफ बीकेयू का ‘हल्ला बोल’, पुलिस बल तैनात

नोएडा, 8 जुलाई . भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) ने सोमवार दोपहर के बाद से नोएडा प्राधिकरण के खिलाफ हल्ला बोल कर दिया है. नोएडा के सेक्टर-15 गोल चक्कर से लेकर नोएडा प्राधिकरण तक किसानों ने बड़ी संख्या में मार्च किया. उसके बाद नोएडा अथॉरिटी के बाहर धरना प्रदर्शन पर बैठ गए. भारतीय किसान यूनियन ने प्राधिकरण के खिलाफ जमकर नारेबाजी की है.

किसानों के पैदल मार्च के दौरान बड़ी संख्या में पुलिस बल उनके साथ मौजूद रहा. नोएडा अथॉरिटी के बाहर भी पुलिस ने बैरिकेडिंग करके किसानों को अथॉरिटी के गेट के बाहर रोक दिया है. फिलहाल, पुलिस और प्राधिकरण के अधिकारी किसानों से बातचीत कर रहे हैं.

दरअसल, नोएडा प्राधिकरण के खिलाफ अपनी मांगों को लेकर कई महीनों तक किसान संगठनों ने प्रदर्शन किया था. शासन से मिले आश्वासन और लोकसभा चुनाव को देखते हुए प्रदर्शन खत्म कर दिया गया था. जिसके बाद लोकसभा चुनाव को सकुशल नोएडा में संपन्न कराया गया था. एक बार फिर अपनी मांगों के पूरा नहीं होने पर नोएडा प्राधिकरण की वादाखिलाफी के विरोध में किसान संगठनों ने धरना प्रदर्शन करना तय किया था. सोमवार को भारतीय किसान यूनियन ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया.

नोएडा को 81 गांव की जमीनों पर बसाया गया है. 1997 से 2014 के बीच जमीनें अधिग्रहित हुईं. इस दौरान 16 गांव के किसानों को मुआवजा और 5 प्रतिशत विकसित प्लॉट दिए गए. बाकी गांव के किसान हाईकोर्ट चले गए. उन्होंने मुआवजा और विकसित प्लॉट देने की प्रक्रिया को चुनौती दी. कोर्ट में नोएडा प्राधिकरण के भू-अर्जन अधिनियम-1984 के प्रावधान के मुताबिक 16 गांव की 19 अधिसूचनाओं को चुनौती दी गई.

इस चुनौती पर हाईकोर्ट ने 21 अक्टूबर 2011 को किसानों को 64.70 प्रतिशत की दर से मुआवजा और उनकी जमीन जितना 10 प्रतिशत प्लॉट आबादी में देने का आदेश दिया. बाद में इस आदेश के विरोध में भी कुछ किसान कोर्ट गए. इसमें ऐसे किसान थे, जिनकी याचिका खारिज कर दी गई या जो कोर्ट नहीं गए थे. कोर्ट ने उनकी मांगों को लेकर प्राधिकरण को निर्णय लेने का आदेश दिया.

कोर्ट के आदेश के बाद प्राधिकरण ने 191वीं बोर्ड बैठक में निर्णय लिया कि आबादी में 10 प्रतिशत प्लॉट या इसके क्षेत्रफल के बराबर मुआवजा दिया जाए. इसमें सिर्फ उन्हीं किसानों को शामिल किया गया, जो हाईकोर्ट के 21 अक्टूबर 2011 के आदेश में शामिल थे. लेकिन, प्राधिकरण ने माना कि ऐसे किसान जिन्होंने कोर्ट में चुनौती दी, लेकिन उनकी याचिका को निरस्त कर दिया गया, साथ ही ऐसे किसान जिन्होंने अधिसूचना को चुनौती ही नहीं दी, वे पात्र नहीं हैं.

इसके बाद 2019 से लगातार किसान प्राधिकरण के खिलाफ आंदोलन करते आ रहे हैं. किसान लगातार अपनी इन मांगों को लेकर प्राधिकरण पर धरना प्रदर्शन करते रहते हैं, जिनमें 1997 के बाद के सभी किसानों को बढ़ी दर से मुआवजा देने (चाहे वह कोर्ट गए हों या नहीं गए हों), किसानों को उनकी जमीन का 10 प्रतिशत प्लॉट आबादी में देने, रेगुलेशन की 450 वर्गमीटर सीमा को बढ़ाकर 1,000 प्रति वर्गमीटर करने, मकानों की ऊंचाई को बढ़ाए जाने की अनुमति देने, 5 प्रतिशत प्लॉट पर व्यावसायिक गतिविधियां चलाने की अनुमति और गांवों में लाइब्रेरी बनाने की मांग शामिल है.

पीकेटी/एबीएम