उत्तर प्रदेश में जिला अध्यक्षों की घोषणा में भाजपा की समीकरण साधने की रणनीति

लखनऊ, 17 मार्च . भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने रविवार को उत्तर प्रदेश के जिला अध्यक्षों की सूची जारी कर दी. इस घोषणा में कई जिलों में नए चेहरों को मौका दिया गया है, जबकि कई पुराने नेताओं पर भरोसा बरकरार रखा गया है. इस कदम से पार्टी ने संगठन को मजबूत करने और सामाजिक समीकरणों को साधने की रणनीति को स्पष्ट किया है.

जिला अध्यक्षों की सूची जारी होने के साथ ही उत्तर प्रदेश भाजपा में प्रदेश अध्यक्ष के चयन की चर्चा तेज हो गई है. माना जा रहा है कि जल्द ही प्रदेश अध्यक्ष के चयन की प्रक्रिया शुरू होगी. इसके अलावा, कुछ बचे हुए जिला अध्यक्षों की सूची भी शीघ्र जारी की जाएगी. यह कदम पार्टी के आगामी चुनावी तैयारियों की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है.

भाजपा ने सभी प्रमुख जातिगत समूहों को संगठन में शामिल कर सामाजिक आधार को मजबूत करने की कोशिश की है. कुल 70 जिला और महानगर अध्यक्षों में विभिन्न वर्गों को प्रतिनिधित्व दिया गया है.

सवर्ण जाति के 39 नेताओं को जगह मिली, जिनमें 19 ब्राह्मण, 10 ठाकुर, तीन कायस्थ, दो भूमिहार, चार वैश्य और एक पंजाबी शामिल हैं.

ओबीसी वर्ग के 25 नेताओं को संगठन में स्थान दिया गया, जिसमें पांच कुर्मी, तीन पिछड़ा वैश्य, दो जाट, दो लोधी, दो मौर्य सहित यादव, बढ़ई, कश्यप, कुशवाहा, पाल, राजभर, सैनी, रस्तोगी, गुर्जर, भुजवा और तेली से एक-एक नेता शामिल हैं.

एससी वर्ग के छह नेताओं को जिम्मेदारी दी गई, जिसमें पासी वर्ग से तीन और धोबी, कठेरिया, कोरी से एक-एक जिला अध्यक्ष बनाए गए.

इस सूची में 25 जिला अध्यक्षों को दोबारा मौका दिया गया है. खास बात यह है कि 11 ऐसे जिले, जहां भाजपा को हाल के चुनावों में हार मिली थी, वहां भी पुराने अध्यक्षों को बरकरार रखा गया. इनमें सीतापुर, मुरादाबाद, मुजफ्फरनगर, संभल, बदायूं, कन्नौज, रायबरेली, प्रतापगढ़, सोनभद्र, बस्ती और आंवला जैसे जिले शामिल हैं.

भाजपा ने इस बार युवा नेतृत्व को बढ़ावा देने पर भी ध्यान दिया है. 70 जिला और महानगर अध्यक्षों में से 68 की उम्र 60 साल से कम है. यह कदम पार्टी की उस रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है, जिसमें संगठन में नई ऊर्जा और गतिशीलता लाने का लक्ष्य है.

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