दिल्ली में बिजली दरों को लेकर बीजेपी का विरोध प्रदर्शन, रमेश बिधूड़ी ने सरकार को घेरा

नई दिल्ली, 15 जुलाई . दिल्ली सरकार द्वारा पावर चार्ज एडजस्टमेंट की दर में बढ़ोतरी किए जाने पर बीजेपी नेता रमेश बिधूड़ी ने गुस्सा जाहिर किया है. उन्होंने केजरीवाल सरकार में मंत्री आतिशी को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि ये लोग मंत्री के नाम पर कलंक हैं. अरविंद केजरीवाल, आतिशी मार्लेना और सौरभ भारद्वाज से पूछा जाना चाहिए कि वे लागत को 10 प्रतिशत तक समायोजित क्यों कर रहे हैं. कारण क्या है?

बीजेपी नेता ने आगे कहा, “वे कहेंगे कि बिजली की मांग बढ़ गई है, तो आपने इस मांग को पूरा करने के लिए किसी कंपनी के साथ अनुबंध क्यों नहीं किया? यही पूछने के लिए हम यहां खड़े हैं.”

दरअसल, रमेश बिधूड़ी के नेतृत्व में बीजेपी ने सोमवार को बिजली दफ्तर के बाहर विरोध प्रदर्शन किया. इस दौरान, बिधूड़ी ने पार्टी कार्यकर्ताओं को संबोधित किया. उन्होंने केजरीवाल सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, “बिजली कंपनियों के साथ सांठ-गांठ कर भ्रष्ट मानसिकता से केजरीवाल सरकार द्वारा पीपीएसी शुल्क के नाम पर दिल्ली में बिजली के बिल बढ़ा दिए. और कितना लूटोगे इस दिल्ली को अरविंद केजरीवाल जी?”

इसके साथ ही उन्होंने कर्नाटक में बस किराए में वृद्धि की मांग पर जब पत्रकारों ने बिधूड़ी से सवाल किया, तो उन्होंने कहा कि मैं यहां इस मामले में कोई टिप्पणी नहीं करूंगा. वहां कांग्रेस की सरकार है, तो मुझे लगता है कि इस संबंध में अगर राहुल गांधी से सवाल किया जाए, तो ज्यादा मुनासिब रहेगा.

दरअसल, कर्नाटक परिवहन निगम ने बस किराए में 20 फीसद की बढ़ोतरी की मांग की है, लेकिन परिवहन मंत्री ने सोमवार को पत्रकारों से बातचीत में कहा कि उनके पास इस संबंध में ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं आया है. अगर आता है, तो वो निसंदेह इस पर विचार करेंगे. इसके अलावा, उन्होंने निगम द्वारा महिलाओं को बस में मुफ्त सफर की सुविधा देने की वजह से परिवहन विभाग को हुए नुकसान के दावों को भी सिरे से खारिज किया. उन्होंने कहा कि विभाग को ऐसा कोई भी घाटा नहीं हुआ है. यहां तक विभाग एक हजार करोड़ रुपए का अतिरिक्त रेवेन्यू अर्जित करने में सफल हुआ है.

उधर, रमेश बिधूड़ी से पत्रकारों ने सीएम केजरीवाल के वजन कम होने के संबंध में सवाल किया गया. इस पर उन्होंने आतिशी को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि वो झूठी हैं. उनके पास झूठ का पुलिंदा है. ये लोग कलंकित हैं. ये लोग संविधान के नाम पर झूठी कसम खाकर संविधान को ही लज्जित करने का प्रयास कर रहे हैं, जो कि मुझे लगता है कि उचित नहीं है.

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