सीधी, 22 मार्च . मध्य प्रदेश के सीधी संसदीय क्षेत्र में बीते तीन चुनाव ने भाजपा की ताकत को बढ़ाने का काम किया है. दूसरी ओर कांग्रेस लगातार पिछड़ी है. इस बार सीधी में कांग्रेस और भाजपा के बीच सीधी टक्कर की बजाय मुकाबला त्रिकोणीय होने के आसार नजर आ रहे हैं.
राज्य की 29 संसदीय सीटों में से 6 पर पहले चरण में 19 अप्रैल को मतदान होना है. इनमें एक संसदीय क्षेत्र सीधी भी है. भाजपा और कांग्रेस इस संसदीय क्षेत्र के लिए अपने उम्मीदवार का ऐलान कर चुकी है. इस बार दोनों ही दलों की ओर से नए चेहरे हैं.
भाजपा ने जहां डॉ. राजेश मिश्रा को मैदान में उतारा है तो कांग्रेस ने कमलेश्वर पटेल को. पटेल अभी हाल ही में विधानसभा का चुनाव हारे हैं और उससे पहले वह कमलनाथ की सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं. वहीं, भाजपा के बागी अजय प्रताप सिंह ने गोंडवाना गणतंत्र पार्टी से नामांकन भर दिया है. बहुजन समाज पार्टी ने यहां से पूजन राम साकेत को उम्मीदवार बनाया है.
इस संसदीय क्षेत्र में अब तक 16 चुनाव हुए हैं, जिनमें से भाजपा और कांग्रेस सात-सात बार जीत हासिल कर पाई है, वहीं, एक बार निर्दलीय और एक बार भारतीय लोक दल का उम्मीदवार निर्वाचित हुआ. इस संसदीय क्षेत्र में भाजपा की ताकत में लगातार इजाफा हुआ है. बीते तीन चुनाव इस बात की गवाही देते हैं.
इन चुनावों में भाजपा का जीत का अंतर लगातार बढ़ा है. वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में जहां भाजपा 45,000 वोटो के अंतर से जीती थी तो वहीं 2014 में यह अंतर बढ़कर एक लाख आठ हजार हो गया. वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने 2 लाख 86 हजार से ज्यादा वोटों के अंतर से जीत हासिल की थी.
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा को बीते तीन चुनाव से जो बढ़त मिल रही है, उसे बरकरार रखना आसान नहीं होगा. इसकी बड़ी वजह राज्यसभा सदस्य अजय प्रताप सिंह की बगावत है. उन्होंने पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया है और गोंडवाना गणतंत्र पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर नामांकन भी भर चुके हैं. इस इलाके में जनजाति वर्ग के मतदाताओं की संख्या पर्याप्त तादाद में है और वे जीत और हार के अंतर को कम तथा बढ़ाने में मददगार साबित होते हैं. इस स्थिति में इस बार के चुनाव के रोचक होने के आसार हैं. इसकी वजह भी है क्योंकि भाजपा और कांग्रेस के नए चेहरे मैदान में हैं तो वहीं भाजपा के एक नेता ने बगावत की है.
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एसएनपी/एबीएम