भाजपा की निष्ठा देश की भलाई और राष्ट्रभावना को आगे बढ़ाने की है : रवींद्र राय

रांची, 13 दिसंबर . केंद्रीय कैबिनेट की तरफ से ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ को मिली मंजूरी को झारखंड भारतीय जनता पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष डॉ. रवींद्र राय ने सराहा है. उन्होंने केंद्र सरकार की तारीफ करते हुए कहा कि भाजपा की निष्ठा देश की भलाई और राष्ट्रभावना को आगे बढ़ाने की है.

उन्होंने कहा, “भारतीय जनता पार्टी इस देश को दुनिया के लिए एक आदर्श बनाने की कोशिश में है. भाजपा की निष्ठा इस देश की भलाई और राष्ट्रवाद की भावना को आगे बढ़ाने की है. देश का कैसे भला हो सकता है और पुनर्निर्माण हो सकता है, सारी चीजें आदर्श रूप में स्थापित हो सकती हैं. इस पर भाजपा विचार कर रही है.”

उन्होंने कहा, “लोकतांत्रिक व्यवस्था में चुनाव एक ऐसा विषय है, जो जनता और मतदाता के सामने कभी-कभी संकट बनकर खड़ा होता है. पूरे देश में किसी ना किसी रूप में चुनाव का दौर चलता रहता है, इसलिए भाजपा ने इस पर मौलिक रूप से चिंतन करके एक कमेटी बनाई थी, जिसके चेयरमैन हमारे पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद थे. उन्होंने सरकार को अपनी रिपोर्ट दी है.”

भाजपा नेता ने आगे कहा, “आजादी के बाद देश में एक साथ चुनाव होते थे, लेकिन आज अलग-अलग चुनावों का दौर चलता रहता है. अलग-अलग राज्यों के चुनाव भी देश के लोगों को कई प्रकार से प्रभावित करते हैं. वहीं, सरकार और राजनीति के प्रति लोगों का विश्वास कमजोर हो रहा है. चुनाव काफी खर्चीला होता है. इसीलिए, इसका पहल किया गया है. एक बहुत बड़ा व्यवधान समाप्त होगा और देश के मतदाता अपने आप को सुरक्षित समझेंगे. यह एक राष्ट्रीय जरूरत है, जिसे जल्द पूरा होना चाहिए.”

प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर भाजपा नेता ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने एक फैसला दिया है. धर्मस्थलों को लेकर कोई विवाद नहीं बढ़े, इसलिए उन्होंने फैसले में रखा है कि कोई भी कोर्ट विवादास्पद स्थलों के बारे में सुनवाई नहीं करे. मैं सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ कुछ नहीं बोलना चाहता हूं. लेकिन, इस देश में कुछ ऐतिहासिक भूल हुई है, जिसके कारण अलग-अलग मान्यताओं के लोगों में अविश्वास बना हुआ है. उसे दूर करने के लिए कोई विकल्प होना चाहिए.”

उन्होंने आगे कहा, “न्यायपालिका से अलग हटकर भी कुछ चीजों के आयोग और संस्थाएं बनी हुई है, जो उनके लिए निर्णय लेती हैं. भारत में कई ऐतिहासिक भूल हुई हैं. आक्रमणकारियों ने लोगों के धर्मस्थल को तोड़कर सामाजिक जीवन को बाधित करने का प्रयास किया है. उसके समाधान के लिए निकाय बननी चाहिए. संसद को इस पर विचार करना चाहिए. संसद के प्रयास और सुप्रीम कोर्ट के मार्गदर्शन से ऐसे विषयों का निपटारा होना चाहिए.”

एससीएच/एबीएम