भाजपा के आका सीएम सरमा से खुश नहीं, इसलिए वह कर रहे डिवाइड व पोलराइजेशन की सियासत : डॉ. सैयद नसीर हुसैन

मुंबई, 31 अगस्त . असम विधानसभा में जुमे की नमाज का ब्रेक खत्म किये जाने को लेकर सियासत गरमा गयी है. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद डॉ. सैयद नसीर हुसैन ने बड़ा हमला बोला है.

उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि असम की सरकार और असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा को इन्हीं सब चीजों में ज्यादा रुच‍ि है. उनको डेवलपमेंट, प्रोग्रेस, राहत का काम करने, लोगों को सुविधाएं दिलाने और जनकल्याणकारी नीतियों में कोई विश्वास नहीं है. अब उनको यह भी लगने लगा है कि उनकी नई पार्टी बीजेपी के जो आका हैं, उनसे खुश नहीं है. ऐसे में ज्यादा लॉयल्टी दिखाने के चक्कर में वह यह सब हरकतें कर रहे हैं. इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है.

उन्होंने कहा कि आने वाले चुनाव में वह हारने वाले हैं. इसलिए वह डिवाइड और पोलराइजेशन के मुद्दे के जरिये सियासत कर रहे है. हिंदुस्तान में हर समुदाय, हर धर्म के लोग रहते है. सदियों से चली आ रही उनकी सभ्यताएं और मान्यताएं हैं. उसको रोकना और उसको खत्म करना यह किसी भी समाज के लिए ठीक नहीं होगा.

वफ्फ कानून के मद्देनजर जेपीसी बैठक को लेकर उन्होंने कहा कि बैठक में क्या हुआ, यह मैं बता नहीं सकता, क्योंकि मैं उसका सदस्य हूं. हिंदुस्तान के हर गांव में वफ्फ की संपत्ति है, ऐसे में जहां-जहां मुसलमान रहते हैं, वहां एक कब्रिस्तान, एक ईदगाह, एक मस्जिद होते ही है.

जब हर जगह वक्फ की प्रॉपर्टी है, तो स्टेक होल्डर भी बहुत ज्यादा है. इसके ऊपर इसके एक्सपर्ट लोग भी हैं. इसमें बोर्ड चलाने वाले लोग भी हैं. अलग-अलग तरीके के लोग हैं. अलग-अलग रूल्स है. वह सभी चीजों को डिस्कस करना है, इसलिए सभी स्टेक होल्डर को बुलाया गया है. हो सकता है जेपीसी व‍िभ‍िन्‍न प्रदेशों का टूर भी करे. तमाम स्टेक होल्डर से बात करेंगे और समझेंगे. उसके बाद रिपोर्ट तैयार कर पार्लियामेंट में सबमिट किया जाएगा.

यूपीआई ट्रांजैक्शन मैक्सिमम पहुंचने के सवाल पर उन्होंने कहा कि पीएम मोदी कहना क्या चाहते हैं. अमीर लोग ट्रांजैक्शन का मोड बदल लिए हैं. अपना पैसा इधर से उधर कर रहे हैं. ऐसे में सवाल यह है कि आम जनता क्या चाह रही है. आम जनता चाह रही है क‍ि नौकरी मिले, आम जनता जा रही है कि उसको दो वक्त की रोटी मिले. उसके बारे में पीएम मोदी क्यों नहीं बात करते. अमीर के पास पैसा है ,तो वे किसी भी मोड से ट्रांजैक्शन कर लेंगे.

गरीब लोगों के पास पैसा नहीं है, तो वह कहां से ट्रांजैक्शन करेंगे. यह किसका और किस कैटेगरी का पैसा है, मोदी सरकार को यह भी बताना चाहिए. हर चीज के लिए क्रेडिट लेने के चक्कर में लगे रहते हैं. वैसे तो यह प्रक्रिया कांग्रेस के जमाने में शुरू हुई थी, लेकिन मैं मानता हूं कि गरीब नौकरी और दो वक्त की रोजी-रोटी को लेकर सवाल पूछ रहा है. पीएम मोदी को उसकी व्यवस्था करनी चाहिए.

एकेएस/