राज्य सरकार के संरक्षण में एशिया का सबसे बड़ा साल वन हुआ बर्बाद : भाजपा

रांची, 30 सितंबर . Jharkhand प्रदेश भाजपा ने राज्य के प्रसिद्ध सारंडा वन क्षेत्र में लौह अयस्क के अंधाधुंध खनन का आरोप लगाते हुए हेमंत सोरेन Government को जिम्मेदार ठहराया है. पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल शाहदेव ने कहा कि सारंडा वन क्षेत्र में पर्यावरण और पारिस्थितिकी को Governmentी संरक्षण में लगातार पहुंचाए जा रहे नुकसान की वजह से ही Supreme court ने इसे संरक्षित अभयारण्य घोषित करने का आदेश दिया है.

भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि सारंडा एशिया में साल वृक्षों का सबसे बड़ा जंगल है, जिसका बीते वर्षों में खनन माफियाओं के दबदबे और Governmentी संरक्षण के चलते व्यापक दोहन हुआ. करीब 82,000 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला यह वन क्षेत्र अपनी हरियाली और जैव विविधता के लिए विश्व प्रसिद्ध था, लेकिन आयरन ओर और अन्य खनिजों के अंधाधुंध खनन से हजारों हेक्टेयर वनभूमि बर्बाद हो गई और प्राकृतिक पारिस्थितिकी तंत्र चरमराकर रह गया.

प्रतुल शाहदेव ने आंकड़े देते हुए कहा कि जहां कभी 300 से अधिक प्रजातियों के पौधे पाए जाते थे, वहां अब मुश्किल से 87 प्रजातियां शेष रह गई हैं. इसी तरह पक्षियों की प्रजातियां घटकर 148 से 116 रह गईं. हाथियों का परंपरागत रास्ता पूरी तरह समाप्त हो गया है और 2010 में जहां 253 हाथियों की उपस्थिति दर्ज की गई थी, आज उनकी संख्या लगभग नगण्य हो गई है.

उन्होंने कहा कि खनन से फैले प्रदूषण ने पूरे इलाके को प्रभावित किया है. बारिश में नदियां और झरने लाल पानी बहाते हैं तथा पीने के पानी तक में लौह अयस्क की धूल घुल जाती है. इसका असर स्थानीय आदिवासी आबादी पर पड़ा है, जहां श्वसन रोग, त्वचा रोग और बुखार जैसी बीमारियां आम हो गई हैं. पिछले कुछ वर्षों में लू और गर्मी की लहरों की तीव्रता भी बढ़ी है, जिसका सीधा संबंध वनों की अंधाधुंध कटाई और पर्यावरणीय असंतुलन से है.

प्रतुल शाहदेव ने आरोप लगाया कि हेमंत Government ने खनन कंपनियों और माफियाओं को लाभ पहुंचाने के लिए पर्यावरणीय मानकों की जानबूझकर अनदेखी की. उन्होंने दावा किया कि हेमंत Government के कार्यकाल में हजारों हेक्टेयर वनभूमि को गैर-वन उपयोग के लिए हस्तांतरित किया गया.

भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि उनकी पार्टी यह मांग करती है कि सारंडा में हुए अवैध खनन की उच्चस्तरीय जांच हो, दोषियों पर कार्रवाई की जाए और पूरे इलाके को ‘नो-गो जोन’ घोषित किया जाए, ताकि भविष्य में कोई भी कंपनी बिना मानक पूरा किए खनन न कर सके.

एसएनसी/एसके