नई दिल्ली, 7 फरवरी . कर्नाटक और केरल ने केंद्र की राजकोषीय नीति को लेकर मोदी सरकार को घेरने के लिए हाथ मिलाया है. साथ ही विपक्ष शासित राज्यों को जीएसटी हिस्सेदारी और अनुदान आवंटित करने में पक्षपातपूर्ण दृष्टिकोण का आरोप लगाया है.
कर्नाटक के सीएम सिद्दारमैया बुधवार को कांग्रेस शासित राज्य के प्रति केंद्र की कथित अनदेखी के खिलाफ रैली करने के लिए अपने मंत्रियों के साथ दिल्ली की सड़कों पर उतरे.
एलडीएफ के नेतृत्व वाली केरल सरकार ने भी गुरुवार को राष्ट्रीय राजधानी में इसी तरह के विरोध प्रदर्शन की योजना बनाई है. विपक्ष शासित राज्यों द्वारा ‘सौतेला व्यवहार’ के शोर के बीच, केरल भाजपा ने बुधवार को दोनों सरकारों के ‘अतिरंजित और निराधार’ दावों की पोल खोल दी.
भाजपा सांसद और केरल के चुनाव प्रभारी प्रकाश जावड़ेकर ने आरोपों को खारिज करने के लिए एक प्रेस नोट जारी किया.
उन्होंने केरल में पिनाराई विजयन सरकार पर अपनी विफलताओं और कमियों के लिए केंद्र पर दोष मढ़ने का आरोप लगाया. साथ ही कहा कि राज्य सरकार के बजट में करों में बढ़ोतरी के कारण स्थानीय लोगों में गुस्सा है.
जावड़ेकर ने कहा कि केरल सरकार को कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए की तुलना में भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए के तहत 300 प्रतिशत से अधिक धन आवंटित किया गया था. विजयन सरकार इस अवसर को भुनाने में विफल रही और अब अपना चेहरा बचाने के लिए राजनीतिक कीचड़ उछालने का सहारा लिया है.
राज्य को केंद्र के फंड और अनुदान आवंटन का विवरण देते हुए, जावड़ेकर ने कहा कि मोदी सरकार ने यूपीए सरकार के दौरान हस्तांतरण को 32 प्रतिशत से बढ़ाकर 42 प्रतिशत करने की वित्त आयोग की सिफारिश को स्वीकार कर लिया. यह राज्यों को धन के हस्तांतरण में तेजी से बढ़ोतरी थी. इसके अलावा, 7.5 प्रतिशत पंचायतों और जिला परिषदों को दिया गया था.
प्रकाश जावड़ेकर ने केरल सरकार के आरोपों को उजागर करते हुए कहा, ”साल 2009 से 2014 तक यूपीए सरकार के 5 वर्षों के दौरान कर हस्तांतरण, वित्त आयोग अनुदान, केंद्र प्रायोजित योजनाओं और अन्य योजनाओं सहित कुल केंद्रीय सहायता सिर्फ 70,838 करोड़ रुपये थी. जबकि, मोदी सरकार ने 2017 से 2022 के दौरान केरल को 2,29,844 करोड़ रुपये दिए हैं.”
–
एफजेड/एबीएम