भोपाल 24 जुलाई . मध्य प्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार और उसके बाद विभाग आवंटन को लेकर उपजे असंतोष ने भाजपा और सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी थी. अब पार्टी संगठन और मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के साथ हुई मंत्री नागर सिंह चौहान की बैठक से क्या मामला सुलझ गया है? यह बड़ा सवाल बना हुआ है.
बीते दिनों डॉ मोहन यादव कैबिनेट का विस्तार हुआ था जिसमें कांग्रेस छोड़कर भाजपा में आए रामनिवास रावत को मंत्री पद की शपथ दिलाई गई और बाद में उन्हें वन तथा पर्यावरण विभाग का जिम्मा सौंप दिया गया. यह विभाग मंत्री नागर सिंह चौहान के पास हुआ करता था. इस बदलाव से चौहान क्षुब्ध थे और उन्होंने खुले तौर पर धमकी दे डाली थी कि वह मंत्री पद तथा उनकी पत्नी अनीता नागर सिंह सांसद पद से इस्तीफा दे सकती है.
उनके इस बयान ने सियासी गलियारों में हलचल पैदा कर दी थी. मंत्री चौहान ने जहां एक तरफ धमकी भरे अंदाज में अपना बयान दिया तो बाद में चंद्रशेखर आजाद की जयंती पर एक वीडियो जारी किया जिसमें उन्होंने खुद को सिर्फ विधायक बताया. इसके बाद ही उनकी नाराजगी को लेकर कयास लगाए जाने लगे थे.
इतना ही नहीं मंत्री चौहान ने दिल्ली दरबार में दस्तक दी, यह बात अलग है कि उन्हें राष्ट्रीय नेतृत्व के किसी बड़े नेता ने समय नहीं दिया तो वहीं पूरे मामले को राज्य स्तर पर ही सुलझाने की हिदायत दी. फिर क्या था मंत्री चौहान मंगलवार (23 जुलाई) रात दिल्ली से वापस भोपाल पहुंचे और देर रात को मुख्यमंत्री निवास पर मुख्यमंत्री डॉ यादव, प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा और संगठन महामंत्री हितानंद के साथ बैठक की. इस बैठक में मंत्री चौहान की बात सुनी गई साथ ही उन्हें बयानबाजी से बचने की हिदायत दी गई है.
पार्टी से जुड़े सूत्रों का कहना है कि नागर सिंह चौहान का जनजातीय वर्ग से नाता है और वे मालवा निमाड़ इलाके में काफी दखल रखते हैं. हाल ही में राजस्थान में इस वर्ग से जुड़े लोगों की एक बड़ी बैठक हुई थी जिसमें भील प्रदेश बनाने की मांग उठी थी. इन स्थितियों में पार्टी नहीं चाहती कि कोई इस वर्ग का जन प्रतिनिधि बगावती तेवर अपनाए, इसलिए इस मसले को जल्दी निपटाने के साथ उस पर विराम लगाने की कोशिश तेज हुई. अब पार्टी यह मानकर चल रही है कि मसला पूरी तक निपटा लिया गया है.
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एस एन पी/केआर