भाजपा-आरएसएस का संविधान के प्रति सम्मान केवल दिखावा: मल्लिकार्जुन खड़गे

New Delhi, 26 नवंबर . देश में Wednesday को संविधान दिवस के अवसर पर कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने social media प्लेटफॉर्म एक्स पर एक वीडियो संदेश जारी किया. इस दौरान उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर जमकर निशाना साधा.

अपने संदेश में कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि सभी देशवासियों को ‘संविधान दिवस’ की हार्दिक शुभकामनाएं. बाबा साहेब डॉ. अंबेडकर, पंडित नेहरु और डॉ. राजेंद्र प्रसाद ने संविधान सभा के साथ मिलकर संविधान का ही नहीं, एक ऐसे India का निर्माण किया, जहां लोकतंत्र सर्वोपरि है. न्याय, समानता, आजादी, परस्पर भाईचारा, धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद India की पहचान बन चुके हैं, पर आज ये पहचान खतरे में है.

खड़गे ने कहा कि जब संविधान लागू हुआ था, तब आरएसएस जैसे संगठन खुले तौर पर कहते थे कि संविधान पाश्चात्य मूल्यों पर आधारित है और उनका आदर्श तो मनुस्मृति है. इतिहास गवाह है कि वे संविधान के खिलाफ थे. आज विडम्बना यह है कि जो लोग कभी संविधान से ज्यादा मनुस्मृति को मानते थे, सत्ता में आने के बाद मजबूरी और Political आवश्यकता के कारण उसी संविधान को अपना बताने की कोशिश कर रहे हैं.

कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि 11 दिसंबर, 1948 को इन्होंने रामलीला मैदान में बड़ा सम्मेलन करके डॉ. अंबेडकर का पुतला भी फूंका था. आरएसएस ने केवल संविधान और तिरंगे का विरोध ही नहीं किया, बल्कि अंग्रेजी राज में जब स्वाधीनता सेनानी जेलों में थे, तो आरएसएस अंग्रेजों के साथ थी और उसी आरएसएस की Prime Minister मोदी लाल किले से तारीफ करते हैं. गांधीजी की हत्या के बाद 30 जनवरी 1948 को आरएसएस पर पहला प्रतिबंध सरदार पटेल ने लगाया था.

उन्होंने कहा कि आरएसएस के मुखपत्र ‘ऑर्गनाइजर’ ने नवंबर 1949 में संविधान का विरोध किया था. आरएसएस प्रमुख गोलवलकर ने संविधान पारित होने के बाद लिखा था, “लेकिन हमारे संविधान में प्राचीन India में हुए अद्वितीय संवैधानिक विकास का कोई उल्लेख नहीं है. मनुस्मृति में प्रतिपादित नियम आज भी विश्व में प्रशंसनीय हैं और सहज आज्ञाकारिता और अनुरूपता को प्रेरित करते हैं, लेकिन हमारे संवैधानिक पंडितों के लिए इसका कोई अर्थ नहीं है.”

खड़गे ने कहा कि आज Narendra Modi हमें उपनिवेशीकरण के खतरे पर व्याख्यान दे रहे हैं, पर ये उसी विचारधारा के लोग हैं जिन्होंने आजादी की लड़ाई में राष्ट्रीय आंदोलन में एक मिनट भी देश की जनता का साथ नहीं दिया, उल्टा अंग्रेजों की गुलामी की. देश की जनता जान चुकी है कि संस्थानों को कौन चोट पहुंचा रहा है. भाजपा-आरएसएस के लोग संविधान की धज्जियां उड़ाने में व्यस्त हैं. इसलिए आज संविधान के प्रति इनका ये सम्मान केवल दिखावा है, ढोंग है. इन्होंने ही संविधान की प्रतियां जलाईं थीं और आज बाबा साहेब की प्रतिमा पर फूल चढ़ा रहे हैं. ये India के संविधान और हमारे पूर्वजों की सबसे बड़ी जीत है. जय हिंद, जय संविधान.

एमएस/वीसी