नई दिल्ली, 12 मार्च . गरीब बच्चे देश में किस तरह नशे का शिकार हो रहे हैं, यह गंभीर विषय राज्यसभा में उठाया गया. यह विषय राज्यसभा में बुधवार को महाराष्ट्र से भाजपा सांसद अजीत माधवराव गोपछड़े ने उठाया.
गोपछड़े ने बताया कि सड़क पर रहने वाले गरीब बच्चे पेन बाम को ब्रेड पर लगाकर नशे के लिए सेवन कर रहे हैं. इसके अलावा बच्चे फेविकोल, पेंट, पेट्रोल, डीजल, कफ सिरप, नेल पॉलिश और रिमूवर केमिकल जैसी चीजों का इस्तेमाल भी कर रहे हैं. यह सभी चीजें आसानी से उपलब्ध हैं और इनकी बिक्री पर कोई प्रतिबंध नहीं है.
पेशे से बाल चिकित्सक गोपछड़े ने कहा कि यह विषय हमारे समाज के सबसे कमजोर वर्ग यानी बच्चों से जुड़ा है. आजकल कई लोग नशे के पारंपरिक तरीकों से हटकर पेट्रोल-डीजल सूंघकर नशा कर रहे हैं. इस स्थिति में पुलिस भी कुछ नहीं कर पाती है. यह एक अनोखा नशा है, जो तेजी से फैल रहा है. पेट्रोल सूंघने की आदत एक गंभीर समस्या बन चुकी है, जो स्वास्थ्य को कई प्रकार से नुकसान पहुंचा सकती है. फेविकोल और पेंट जैसे पदार्थों का सेवन करने वाले बच्चों की संख्या हर साल लाखों तक पहुंच रही है. सिंथेटिक ड्रग्स किशोरों के बीच एक स्टेटस सिंबल बन गया है. कई किशोर दोस्तों के बीच लोकप्रियता पाने के लिए या सामाजिक दबाव के कारण सिंथेटिक ड्रग्स का इस्तेमाल कर रहे हैं.
उन्होंने कहा कि इस समस्या के समाधान के लिए समाज को एक सामूहिक प्रयास करना बेहद आवश्यक है. सरकार को सभी बाल मनो चिकित्सकों को इस अभियान में शामिल करने के लिए प्रोत्साहित करना बेहद जरूरी है. नशे की लत से ग्रस्त हो चुके ऐसे बच्चों को बाल कल्याण समिति के समक्ष लाना जरूरी है. इसके बाद बाल कल्याण समिति उन बच्चों की देखभाल, विषहरण, उपचार और पुनर्वास के लिए सही व्यवस्था करने का कार्य करेगी. प्रत्येक पंजीकृत फार्मासिस्ट केवल उन दवाओं का वितरण करें, जो पंजीकृत पेशेवर चिकित्सक ने निर्धारित की हैं.
उन्होंने कहा कि यह एक सामाजिक और स्वास्थ्य संबंधी मुद्दा है, जो हमारे भविष्य की पीढ़ी को प्रभावित कर रहा है. उन्होंने सदन और सरकार से इस विषय को ध्यान में लेकर गंभीर और ठोस कदम उठाने का निवेदन किया. उन्होंने बताया कि ऑस्ट्रेलिया और कनाडा जैसे देशों की सरकार ने सिंथेटिक ड्रग्स से बच्चों को बचाने के लिए उपचार और पुनर्वास के विशेष कार्यक्रम विकसित किए हैं.
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जीसीबी/एबीएम