नई दिल्ली, 25 सितंबर . वक्फ (संशोधन) विधेयक पर विस्तार से विचार विमर्श करने के लिए बनाए गए जेपीसी के सदस्य एवं भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने बड़े पैमाने पर एक जैसी भाषा वाले सुझाव आने के पीछे अंतरराष्ट्रीय साजिश की आशंका जताते हुए गृह मंत्रालय से इसकी जांच कराने की मांग की है. इसे लेकर कांग्रेस के राज्यसभा सांसद शक्ति सिंह गोहिल ने प्रतिक्रिया दी है.
उन्होंने कहा, “बीजेपी के बड़े लोग वक्फ बोर्ड के बारे में ड्राफ्ट के साथ ईमेल भेजने के लिए लोगों पर दबाव डालते थे. निशिकांत दुबे ने यह सब देखा होगा. निशिकांत दुबे सीनियर आदमी हैं. वह मेरे दोस्त हैं. बीजेपी ने उन्हें मंत्री नहीं बनाया है. और अगर उन्होंने कहीं सच कहा है तो इसमें कोई शक नहीं है. इतने बड़े देश से अगर डेढ़ करोड़ लोग अपनी राय जारी करते हैं तो इसमें कोई शक नहीं होना चाहिए. इसका स्वागत होना चाहिए. अगर इस देश में लोकतंत्र है तो उन्हें दर्द क्यों हो रहा है.
जब आप प्रमुख अरविंद केजरीवाल ने आरएसएस को पत्र लिखकर पीएम मोदी के रिटायरमेंट को लेकर पूछा तो इस पर कांग्रेस नेता ने कहा कि देश के सभी लोगों के दिल में है कि संविधान सबके लिए एक जैसा होना चाहिए. पीएम मोदी खुद कहते हैं कि उनका जन्म नहीं हुआ, वह प्रकट हुए हैं. इसका मतलब है कि पीएम मोदी बायोलॉजिकल नहीं हैं. वह नॉन बायोलॉजिकल हैं. अब अगर अमित शाह थोड़ी स्पष्टता दें कि जो प्रकट हुआ है उस पर देश का कानून लागू नहीं होगा तो अच्छा रहेगा.
उन्होंने कहा कि फर्जी आंकड़े, फर्जी बयान, फर्जी डिग्री, फर्जी अधिकारी और फर्जी पीएमओ आदमी, ये सब फर्जी बातें भाजपा के तौर-तरीके हैं. अगर देश में बेरोजगारी नहीं है तो एक छोटे से सिपाही और चपरासी की नौकरी के लिए लाखों लोग क्यों आवेदन करते हैं. ये देश फर्जी आंकड़ों से नहीं चलता. भाजपा के डर्टी ट्रिक डिपार्टमेंट के ये लोग ट्विटर-ट्विटर खेल रहे हैं. मैं उनसे कहना चाहता हूं कि सड़कों पर जाकर घूमें और पूछें कि हमारे आंकड़े कहते हैं कि बेरोजगारी नहीं है, तो आप सड़कों पर बेरोजगार कैसे घूम रहे हैं. भाजपा का मतलब है ‘बड़ी झूठी पार्टी’.
उल्लेखनीय है कि निशिकांत दुबे ने जेपीसी चेयरमैन जगदंबिका पाल को पत्र लिखकर कहा है कि वक्फ विधेयक को लेकर जेपीसी को मिले 1 करोड़ 25 लाख के लगभग सुझाव अपने आप में महत्वपूर्ण हैं और यह वैश्विक रिकॉर्ड भी है, लेकिन इससे जुड़ी चिंताओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता.
भाजपा सांसद ने कहा कि सबसे बड़ा मुद्दा यह है कि इसमें से कितने सुझाव भारत के अंदर से आए हैं और कितने सुझाव विदेशों से आए हैं. उन्होंने कहा कि इस तरह की बातें सामने आ रही हैं कि इसमें से बड़े पैमाने पर आए सुझावों का कंटेंट या तो समान है या इसमें थोड़ा बहुत फेरबदल है.
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आरके/जीकेटी