लखनऊ, 29 अप्रैल . समाजवादी पार्टी के एक होर्डिंग में बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर की आधी तस्वीर हटाकर उस स्थान पर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की तस्वीर लगाए जाने को लेकर राजनीतिक विवाद गहरा गया है. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेताओं ने इस कृत्य की तीखी आलोचना करते हुए इसे बाबा साहेब और उनके अनुयायियों का अपमान करार दिया है.
डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने कहा, “यह सपा की दूषित मानसिकता का प्रतीक है.” उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने इसे सपा की दूषित मानसिकता बताते हुए कहा कि बाबा साहेब का इस प्रकार अपमान देश की जनता कभी स्वीकार नहीं करेगी. उन्होंने याद दिलाया कि सपा सरकार में पहले भी अंबेडकर से जुड़ी संस्थाओं और जिलों के नाम बदले गए थे. उन्होंने इस कृत्य के लिए दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की.
अनुसूचित जाति एवं जनजाति कल्याण मंत्री असीम अरुण ने कहा कि सपा हमेशा से बाबा साहेब का अपमान करती आई है. होर्डिंग में खुद को बाबा साहेब के समकक्ष दिखाना एक गंभीर मानसिकता और कानूनी अपराध को दर्शाता है. उन्होंने कहा कि दलितों और वंचितों की योजनाएं सपा सरकार में खत्म कर दी गई थीं.
दलित चिंतक व विधान परिषद सदस्य डॉ. लालजी प्रसाद निर्मल ने अखिलेश यादव पर दलित विरोधी मानसिकता का आरोप लगाते हुए कहा कि उनके कार्यकाल में दलित कर्मचारियों के प्रमोशन में आरक्षण को रोका गया. उन्होंने कहा कि अंबेडकरवादी समाज इस अपमान को बर्दाश्त नहीं करेगा.
राज्यसभा सदस्य बृजलाल ने कहा कि अखिलेश यादव द्वारा बाबा साहेब के समकक्ष खुद को प्रस्तुत करना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय है. उन्होंने कहा कि देश की जनता इस हरकत को माफ नहीं करेगी.
भाजपा विधायक मीनाक्षी सिंह ने कहा कि यह होर्डिंग समाजवादी पार्टी की दोहरी मानसिकता को उजागर करता है. उन्होंने आरोप लगाया कि सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की इस पर चुप्पी उनकी मौन स्वीकृति को दर्शाती है. उन्होंने अखिलेश यादव से सार्वजनिक रूप से माफी मांगने की मांग की.
प्रोफेसर श्याम बिहारी लाल ने कहा कि यह होर्डिंग सपा की कुंठित मानसिकता का प्रतीक है और दलित समाज आने वाले चुनाव में इसका करारा जवाब देगा.
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