भाजपा को तमिलनाडु के लोगों में कोई दिलचस्पी नहीं, इसलिए बैठक का कर रही बहिष्कार : डीएमके प्रवक्ता एलंगोवन

चेन्नई, 4 मार्च . तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने 5 मार्च को एक सर्वदलीय बैठक बुलाई है, जिसमें लोकसभा क्षेत्रों के प्रस्तावित परिसीमन और तीन-भाषा नीति पर चर्चा होगी. इस बैठक में 45 राजनीतिक दलों को आमंत्रित किया गया है. लेक‍िन, भारतीय जनता पार्टी ने बैठक का बहिष्कार करने का ऐलान करते हुए इसका कड़ा विरोध क‍िया है. इस पर डीएमके प्रवक्ता टीकेएस एलंगोवन ने अपनी प्रतिक्रिया दी और भाजपा पर निशाना साधा.

एलंगोवन ने कहा, “हमने तमिलनाडु के हित में सभी राजनीतिक दलों से आह्वान किया है कि नए परिसीमन के कारण तमिलनाडु को संसदीय क्षेत्रों की संख्या नहीं खोनी चाहिए. इसलिए हम चाहते हैं कि सभी दल तमिलनाडु के हित में बैठक में शामिल हों.” उन्होंने बैठक से भाजपा के बहिष्कार पर कहा, “भाजपा का कोई और एजेंडा है, इसलिए वे इसमें शामिल नहीं हो सकते. उन्हें तमिलनाडु में दिलचस्पी नहीं है, यह सभी को पता है.” उन्होंने आगे कहा, “जब राज्य के कल्याण के लिए बैठक बुलाई जाती है, तो वह सही तरीके से राज्य की आवाज़ को उठाने के लिए होती है, ऐसे में भाजपा का बहिष्कार करना समझ से परे है.”

एलंगोवन ने भाजपा और अन्य पार्टियों के बहिष्कार के निर्णय पर सवाल उठाते हुए कहा, “जब राज्य के हित में कोई कदम उठाया जा रहा हो, तो भाजपा और उनकी सहयोगी पार्टियां बहिष्कार क्यों कर रही हैं? इसका मतलब साफ है कि उन्हें तमिलनाडु के लोगों की कोई परवाह नहीं है.”

उन्होंने यह भी कहा कि बैठक का उद्देश्य राज्य के कल्याण के लिए एक संयुक्त आवाज उठाना था और भाजपा को इसमें भाग लेना चाहिए था, ताकि तमिलनाडु के हित में उचित निर्णय लिया जा सके.

डीएमके प्रवक्ता ने आगे कहा कि प्रस्तावित परिसीमन के दौरान उत्तर भारतीय राज्यों की बढ़ती जनसंख्या को देखते हुए दक्षिणी राज्यों की स्थिति और संसदीय सीटों की संख्या पर असर पड़ सकता है, जो दक्षिणी राज्यों के लिए अनुकूल नहीं होगा. उन्होंने कहा, “उत्तर भारतीय राज्यों ने भारत सरकार की परिवार नियोजन नीति का पालन नहीं किया है, और अब उन्हें इसका लाभ मिल रहा है. लेकिन तमिलनाडु जैसे राज्यों ने सख्ती से इस नीति का पालन किया और उन्हें अब इसके कारण नुकसान हो सकता है.”

उन्होंने भाजपा और अन्य दलों के इस मुद्दे पर चुप रहने को लेकर भी आलोचना की और कहा कि यह स्थिति तमिलनाडु के लिए सही नहीं है.

एलंगोवन ने भाजपा पर आरोप लगाया कि वह तमिलनाडु के मामलों से अनजान है और उसे राज्य के मुद्दों पर कोई गहरी समझ नहीं है. उन्होंने यह भी कहा कि यदि उत्तर भारत के राज्‍यों में जनसंख्या मानदंड का पालन नहीं किया गया तो उन्‍हें दंडित किया जाना चाहिए, लेकिन तमिलनाडु जैसे राज्यों के साथ अन्याय नहीं होना चाहिए.

उन्होंने भाजपा के नेताओं को यह सलाह दी कि उन्हें बैठक में भाग लेना चाहिए और अपनी चिंताओं को खुलकर व्यक्त करना चाहिए, बजाय इसके कि वे लोगों को धोखा दें.

उन्होंने इस अवसर पर मछुआरों के मुद्दे पर भी टिप्पणी की. एलंगोवन ने कहा, “तमिलनाडु के मछुआरों के बारे में केंद्र सरकार की कोई चिंता नहीं है. अगर मछुआरे गुजरात से होते, तो केंद्र सरकार उनके लिए सभी प्रकार की व्यवस्था करती. हाल ही में गुजरात के मछुआरों के गिरफ्तार होने पर वहां हो-हल्ला मच गया था, लेकिन तमिलनाडु के मछुआरों के मामले में केंद्र सरकार ने कोई कदम नहीं उठाया.” उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र सरकार तमिलनाडु के मछुआरों के अधिकारों की रक्षा करने के बजाय, श्रीलंका के साथ अच्छे संबंध बनाने की कोशिश कर रही है.

एलंगोवन ने कहा कि भाजपा को यह समझना चाहिए कि तमिलनाडु के मामलों में उनकी राजनीति को गलत तरीके से पेश किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि अगर भाजपा की मंशा सही होती, तो वह इस बैठक में भाग लेती और तमिलनाडु के मुद्दों पर एक सकारात्मक चर्चा करती. उन्होंने कहा, “हम भाजपा से आग्रह करते हैं कि वह अपने निर्णय पर पुनर्विचार करे और तमिलनाडु के लोगों के हित में बैठक में भाग ले.”

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