झारखंड की कल्याणकारी योजनाओं को रोकने का षड्यंत्र कर रही भाजपा : हेमंत सोरेन

रांची, 29 सितंबर . झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शनिवार को भारतीय जनता पार्टी पर राज्य सरकार की कल्याणकारी योजनाओं को बंद कराने का षड्यंत्र रचने का आरोप लगाया.

राजधानी रांची में आयोजित एक कार्यक्रम में उन्होंने कहा, “हमने राज्य में आधी आबादी को सम्मान और आर्थिक रूप से मदद के लिए मईयां सम्मान योजना शुरू की तो उसे रुकवाने के लिए इनके लोग कोर्ट चले गए. केवल एक यही मामला नहीं है, हमने स्थानीयता नीति बनाई, बच्चों को नौकरी देने के लिए परीक्षाएं कराईं तो उसके खिलाफ भी ये लोग कोर्ट चले गए. हमारी योजनाएं इन्हें खटक रही हैं. इन्हें सांप सूंघ गया है.”

सीएम ने रांची के खेलगांव में आयोजित कार्यक्रम के दौरान जयपाल सिंह मुंडा पारदेशीय छात्रवृत्ति योजना के तहत विदेशों में पढ़ाई के लिए स्कॉलरशिप स्वीकृति पत्र और कल्याण विभाग की विभिन्न योजनाओं के तहत लाभार्थियों के बीच परिसंपत्तियों का वितरण किया. इसके पूर्व उन्होंने एक अन्य कार्यक्रम में श्रम विभाग में नवनियुक्त 444 अधिकारियों को नियुक्ति पत्र भी सौंपा.

सोरेन ने कहा कि राज्य सरकार ने मात्र दो साल में युवाओं की पढ़ाई से लेकर रोजगार और नौकरियों के सृजन की कई योजनाएं शुरू की हैं. मुख्यमंत्री रोजगार सृजन योजना के तहत लोग आसान दरों पर लोन लेकर स्वरोजगार शुरू कर रहे हैं. इंजीनियरिंग, मेडिकल और अन्य पाठ्यक्रमों की पढ़ाई के लिए जरूरतमंद छात्रों की मदद के लिए सरकार ने गुरुजी स्टूडेंट क्रेडिट कार्ड योजना शुरू की, जिसमें बगैर किसी गारंटी के अत्यंत कम ब्याज दर पर 15 लाख तक का कर्ज आसानी से मिल रहा है.

मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार पर झारखंड के साथ सौतेला सलूक करने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा, “हम राज्य के लाखों गरीबों के आवास के लिए केंद्र की सरकार के पास नाक रगड़ते रहे, लेकिन उन्होंने पीएम आवास योजना के तहत हमें राशि नहीं दी. इसके बाद हम अपनी सरकार की ओर से ‘अबुआ आवास योजना’ लेकर आए, जिसमें 20 लाख गरीबों को आवास देने का लक्ष्य रखा है. यह आवास पीएम आवास की तुलना में ज्यादा बड़ा और बेहतर है.”

सोरेन ने कहा कि झारखंड में चुनाव होने वाले हैं, “तो पता नहीं कहां-कहां से नेता आ गए हैं. उन्होंने गिद्धों की तरह झारखंड के आसमान को ढंक लिया है. उन राज्यों के सीएम भी यहां घूम रहे हैं, जिनका अपना राज्य बाढ़ में डूब रहा है. उनसे अपना राज्य तो संभल नहीं रहा और यहां अपनी ही पीठ थपथपाने चले आए हैं”.

एसएनसी/एकेजे