बेगुनाहों को जेल में डाल रही मध्य प्रदेश की भाजपा सरकार : दिग्विजय सिंह

कोलकाता, 22 दिसंबर . कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह रविवार को मध्य प्रदेश के शाजापुर स्थित मक्सी पहुंचे. यहां उन्होंने गोलीकांड में मारे गए एक शख्स और घायल हुए लोगों के परिवारों से मुलाकात की. इस दौरान उन्होंने मध्य प्रदेश सरकार पर सवाल भी उठाए. उन्होंने कहा कि भाजपा की सरकार में बेगुनाहों को जेल में डाला जा रहा है.

कांग्रेस के राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने मीडिया से बात करते हुए कहा, “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कहते हैं कि ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’. कौन आपकी पार्टी और सरकार पर विश्वास करेगा? भाजपा की सरकार में बेगुनाहों को जेल में डाला जा रहा है, उनके घर गिराए जा रहे है और उन्हें परेशान किया जा रहा है. हमारी लड़ाई यही है कि भारतीय संविधान का पालन किया जाए और कानून का राज कायम हो.”

उन्होंने आगे कहा, “अटल बिहारी वाजपेयी, नरेंद्र मोदी से कहते थे कि राजधर्म निभाइए. मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि क्या यही राजधर्म है? कहते हैं कि राम राज आएगा, क्या यही राम राज है? निर्दोष लोगों को गोली मार दी जाती है और उनके बच्चों को अनाथ कर दिया जाता है. फिर भी कोई कार्रवाई नहीं की जाती.”

दिग्विजय सिंह ने मध्य प्रदेश पुलिस पर भी सवाल उठाए. उन्होंने कहा, “एमपी पुलिस, शाजापुर एसपी और टीआई बख्शी ने अभी तक न आरोपियों को गिरफ्तार किया और न ही किसी को जेल भेजा. अभी तक इस मामले की जांच भी पूरी नहीं हुई. साआईडी को जांच सौंपी गई और जब इस संबंध में पूछा जाता है, तो बताते हैं कि जांच जारी है. मैं पूछना चाहता हूं कि कब तक जांच जारी रहेगी? गोली चली और सिर्फ एक पक्ष के आठ लोग घायल हुए. इसमें अमजद नाम के शख्स की मृत्यु हो गई, जबकि जुनैद नाम का शख्स बोल नहीं पा रहा है.”

उन्होंने कहा, सीएम इतने निर्दयी हो गए हैं क‍ि उन्हें दया नहीं आती. अमजद के दो मासूम बच्चे हैं और उसकी बीवी को नौकरी भी नहीं मिली. वहीं, जुनैद के इलाज पर लाखों रुपये खर्च हो गए. उसके परिवार से कहा गया था कि उसका इलाज कराया जाएगा. आज तक इस परिवार को कोई मदद नहीं मिली है. भारत सरकार का नियम है कि दंगों में होने वाले प्रकरण में तत्काल राहत राशि बांटी जाएगी. मृतकों के लिए पांच लाख और घायलों के लिए 50 हजार रुपये का प्रावधान है, लेकिन अभी तक एक भी रुपया परिवार को नहीं मिला है.”

दिग्विजय सिंह ने कहा कि अधिकारियों को यह नहीं भूलना चाहिए कि उन्होंने संविधान की शपथ ली है. मैं यही कहूंगा कि अब हमारे पास कोई विकल्प नहीं बचा है, इसलिए अब अदालत का रुख किया जाएगा.

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