नई दिल्ली, 8 फरवरी . दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 में भाजपा को भले ही आम आदमी पार्टी (आप) की तुलना में दोगुने से भी ज्यादा सीटें मिली हों, लेकिन दोनों के बीच वोट शेयर में मात्र दो प्रतिशत का अंतर है. यह दिखाता है कि माइक्रो मैनेजमेंट में भाजपा अपने प्रतिद्वंद्वी से कोसों आगे निकल गई. वहीं, कांग्रेस का वोट शेयर भी पिछले विधानसभा चुनाव की तुलना में दो प्रतिशत बढ़ा, लेकिन वह इसका फायदा नहीं ले पाई.
चुनाव आयोग के आंकड़ों के अनुसार, 5 फरवरी को हुए मतदान में भाजपा को 45.56 प्रतिशत और आप को 43.57 प्रतिशत वोट मिले. हालांकि, सीटों के मामले में 48 का आंकड़ा हासिल कर भाजपा काफी आगे निकल गई. वहीं, विधानसभा की 70 सीटों में से ‘आप’ के खाते में 22 सीटें आईं.
साल 2020 में हुए चुनाव की बात करें तो ‘आप’ ने 53.57 फीसदी वोट हासिल कर 62 सीटें जीती थीं, जबकि भाजपा को 38.51 फीसदी वोट के साथ आठ सीटें मिली थीं. इस प्रकार भाजपा का वोट शेयर इस बार आठ प्रतिशत के करीब बढ़ा है, जबकि ‘आप’ को 10 फीसदी का नुकसान हुआ है.
विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 70 में से 66 सीटों पर तीसरे स्थान पर रही है. कस्तूरबा नगर में उसके प्रत्याशी अभिषेक दत्ता दूसरे स्थान पर रहे और 11,048 मतों से भाजपा के नीरज बसोया से हार गए. इस सीट पर ‘आप’ तीसरे स्थान पर रही. महरौली, मुस्ताफाबाद और ओखला में कांग्रेस चौथे स्थान पर रही.
कांग्रेस लगातार तीसरी बार दिल्ली विधानसभा चुनाव में खाता नहीं खोल सकी है. साल 2020 में 4.26 फीसदी वोट लेकर कांग्रेस 62 सीटों पर तीसरे और चार सीटों पर चौथे स्थान पर रही थी. साल 2015 में उसका वोट शेयर 9.71 फीसदी रहा था.
‘आप’ को साल 2015 में 54.59 प्रतिशत और 2013 में 29.64 प्रतिशत वोट मिले थे. वहीं, भाजपा को इन दोनों चुनावों में क्रमशः 32.78 प्रतिशत और 34.12 प्रतिशत वोट मिले.
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एकेजे/एबीएम