कोलकाता: सत्यजित रे के घर तोड़े जाने पर भाजपा और तृणमूल ने जताई चिंता

कोलकाता, 16 जुलाई . बांग्लादेश में प्रख्यात फिल्म निर्माता सत्यजित रे के पैतृक घर को तोड़े जाने की खबर ने पश्चिम बंगाल में सियासी हलचल मचा दी है. इस मुद्दे पर पश्चिम बंगाल विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के मुख्य सचेतक शंकर घोष ने केंद्र सरकार से कड़ा रुख अपनाने की मांग की है. दूसरी ओर, तृणमूल कांग्रेस के सांसद अभिषेक बनर्जी ने भी इस घटना पर गहरी चिंता जताई है और बांग्लादेश सरकार से इसे रोकने की अपील की है.

शंकर घोष ने कहा कि बांग्लादेश में लगातार हिंदुओं पर अत्याचार हो रहे हैं और अब सत्यजित रे के घर को तोड़े जाने की घटना बेहद चिंताजनक है. उन्होंने मांग की कि केंद्र सरकार को इस पर तुरंत ठोस कदम उठाना चाहिए.

वहीं, तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में अपनी चिंता जाहिर की. उन्होंने कहा कि सत्यजित रे का पैतृक घर, जो ढाका में स्थित है और उनके दादा उपेंद्र किशोर रे चौधरी का था, बांग्लादेशी अधिकारियों द्वारा तोड़ा जा रहा है. यह घर 100 साल पुराना है और बंगाली साहित्य व संस्कृति में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है. बनर्जी ने इसे हमारी विरासत पर हमला करार देते हुए कहा कि यह पूरी बंगाली बिरादरी की आत्मा पर चोट है.

उन्होंने रे परिवार के वैश्विक कला में अनुपम योगदान को याद किया और इस ऐतिहासिक स्थल को बचाने की अपील की. अभिषेक बनर्जी ने बांग्लादेश सरकार से इस फैसले पर पुनर्विचार करने और इस सांस्कृतिक स्थल को संरक्षित करने की मांग की.

सत्यजीत रे, जिनका जन्म 2 मई 1921 को कोलकाता में हुआ था, भारतीय सिनेमा के दिग्गज थे. उनकी प्रमुख कृतियों में ‘अपू ट्रिलॉजी’, ‘जलसाघर’, ‘चारुलता’, ‘गूपी गायने बाघा बायने’, ‘पथेर पांचाली’ और ‘शतरंज के खिलाड़ी’ शामिल हैं. वे न केवल फिल्म निर्माता थे, बल्कि पटकथा लेखक, वृत्तचित्र निर्माता, लेखक, निबंधकार, गीतकार, पत्रिका संपादक, चित्रकार और संगीतकार भी थे.

उन्हें अपने करियर में 32 राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार, कई अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोहों में पुरस्कार और 1992 में मानद ऑस्कर पुरस्कार मिला. इसके अलावा, भारत सरकार ने उन्हें 1992 में भारत रत्न से सम्मानित किया था.

वीकेयू/डीएससी