बीजद नेता मोहंती ने छात्रा के आत्मदाह के प्रयास पर प्रशासन की आलोचना की

भुवनेश्वर, 12 जुलाई . ओडिशा में बीजू जनता दल (बीजद) नेता लेनिन मोहंती ने बालासोर के फकीर मोहन स्वायत्त महाविद्यालय में बीएड छात्रा के आत्मदाह के प्रयास की घटना पर महाविद्यालय प्रशासन और अधिकारियों की कड़ी आलोचना की. Saturday को जारी विज्ञप्ति में मोहंती ने महाविद्यालय के प्राचार्य और आंतरिक शिकायत समिति (आईसीसी) को लापरवाही के लिए जिम्मेदार ठहराया और कड़ी कार्रवाई की मांग की.

इस घटना को “बेहद परेशान करने वाला” बताते हुए मोहंती ने कहा कि छात्रा ने एक जुलाई को आईसीसी में एक संकाय सदस्य द्वारा उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए शिकायत दर्ज कराई थी. शिकायत की गंभीरता के बावजूद, 12 दिनों तक कोई कार्रवाई नहीं की गई.

उन्होंने आगे कहा कि प्राचार्य ने चौंकाने वाली टिप्पणी की कि मामला इतना गंभीर नहीं था कि इस पर तत्काल ध्यान दिया जाए.

मोहंती ने आरोप लगाया कि संस्थान की कार्रवाई में विफलता के कारण छात्रा ने आत्महत्या का प्रयास किया. उन्होंने मांग की कि प्रधानाचार्य को तुरंत बर्खास्त किया जाना चाहिए. कार्रवाई करने में विफल रही पांच सदस्यीय आंतरिक शिकायत समिति को निलंबित किया जाना चाहिए और उनकी निष्क्रियता के लिए कारण बताओ नोटिस जारी किया जाना चाहिए.

ओडिशा में सामूहिक बलात्कार और नैतिक पुलिसिंग सहित हाल ही में हुई घटनाओं का हवाला देते हुए मोहंती ने कहा कि ओडिशा महिलाओं के लिए नर्क बन गया है. कानून-व्यवस्था चरमरा रही है. हर दिन एक नई भयावह कहानी सामने आती है.

उन्होंने राज्य में सत्तारूढ़ भाजपा नेतृत्व की चुप्पी पर भी सवाल उठाया. उन्होंने पूछा कि क्या Chief Minister किसी और के निर्देशों का इंतजार कर रहे हैं? कार्रवाई करने में और कितने दिन लगेंगे?

मोहंती ने पीड़िता की हालत पर भी चिंता व्यक्त की, जो अब 90 प्रतिशत जली हुई अवस्था में एम्स भुवनेश्वर में अपनी जिंदगी और मौत के बीच जूझ रही है. उन्होंने कहा कि सरकार को उसका इलाज, न्याय और सुरक्षा सुनिश्चित करनी चाहिए. उन्होंने अधिकारियों से सभी महिलाओं की गरिमा और सुरक्षा को बनाए रखने का आग्रह किया, चाहे उनकी राजनीतिक संबद्धता कुछ भी हो.

उन्होंने कहा कि अगर एबीवीपी की राजनीतिक छात्र शाखा से जुड़ी एक लड़की को इस तरह नजरअंदाज किया जा सकता है, तो बिना किसी समर्थन वाली आम लड़कियों के लिए क्या उम्मीद है? यह सिर्फ़ एक कॉलेज की नहीं, बल्कि पूरी व्यवस्था की विफलता है.

एएसएच/डीएससी