बर्थडे स्पेशल : बुलंद आवाज और दमदार डायलॉग्स, आज भी दर्शकों के कानों में गूंजते हैं सनी देओल के पांच बेहतरीन लाइंस

मुंबई, 18 अक्टूबर, . बुलंद आवाज, चेहरे पर तेज और बोलती आंखें, जी हां! हम बात कर रहे हैं तारा सिंह…सनी देओल की. एक्शन में पर्दे पर दहाड़ते जैसे ही सनी देओल की एंट्री होती थी, प्रशंसकों की खुशी का ठिकाना नहीं रहता था और सिनेमाघर मानो कंपन करने लगता था. सिल्वेस्टर स्टेलॉन से प्रेरणा लेकर सनी देओल ने बॉडी बनाई और विरासत में मिली दमदार आवाज. 19 अक्टूबर 1957 को जन्में दमदार अभिनेता का क्रेज आज भी दर्शकों के सिर पर चढ़कर बोलता है. आइए डालते हैं दमदार आवाज में दिए गए उनके दमदार डायलॉग्स पर एक नजर.

सनी देओल फिल्म जगत का एक चर्चित चेहरा हैं. अभिनेता ने कई फिल्मों में अभिनय किया है. उनकी पहली फिल्म बेताब थी, जो 1983 में रिलीज हुई थी. फिल्म में सनी देओल के साथ अमृता सिंह मुख्य भूमिका में थीं. सनी देओल ने फिल्म जगत को बॉर्डर, गदर, घातक, घायल जैसी शानदार सफल फिल्में दी हैं.

इन हिट फिल्मों ने अभिनेता को कभी पीछे मुड़ने नहीं दिया और आज वह एक खास मुकाम पर हैं. सनी देओल के जानदार डायलॉग कान में एक बार पड़ जाएं तो सिनेमाघरों में ताली बजनी तय रहती थी. यह डायलॉग आज भी लोगों के जुबां पर आ जाते हैं.

फिल्म ‘घातक’ 1996 में सिनेमाघरों में उतरी थी. इसका डायलॉग आज भी उतना ही लोकप्रिय है, जितना रिलीज के समय था. ‘डरा के लोगों को वो जीता है, जिसकी हड्डियों में पानी भरा हो. इतना ही मर्द बनने का शौक है कात्या तो इन कुत्तों का सहारा लेना छोड़ दे’, ‘यह मजदूर का हाथ है कात्या, लोहा पिघलाकर उसका आकार बदल देता है’.

‘गदर-एक प्रेम कथा’ साल 2001 में आई एक बड़ी रिलीज थी. फिल्म की कहानी हो या गाने सब सुपरहिट गए थे. ‘यह मुल्क है कोई खेत का टुकड़ा नहीं, जो यूं ही बंट जाएगा’. ‘अशरफ अली! आपका पाकिस्तान जिंदाबाद है, इससे हमें कोई ऐतराज नहीं, लेकिन हमारा हिंदुस्तान जिंदाबाद है, जिंदाबाद था और जिंदाबाद रहेगा!

‘दामिनी’ 1993 में आई फिल्म है, जिसका डायलॉग काफी लोकप्रिय हुआ. ‘जब यह ढाई किलो का हाथ किसी पर पड़ता है तो आदमी उठता नहीं’. ‘तारीख पर तारीख, तारीख पर तारीख मिलती रही है लेकिन इंसाफ नहीं मिला माई लॉर्ड, इंसाफ नहीं मिला तो यह तारीख.

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