नई दिल्ली, 30 अगस्त . एक ऐसे नेता जो सियासत और वकालत दोनों में माहिर हैं. बोलने में बेजोड़ और अपनी पार्टी के लिए संकटमोचक, इसके अलावा भारी भरकम मंत्रालयों का जिम्मा संभाल चुके हैं, पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद.
पटना की गलियों से गुजरते हुए रविशंकर प्रसाद ने केंद्र सरकार के मंत्रिमंडल में शामिल होने तक का गौरव प्राप्त किया. रविशंकर प्रसाद का जन्म 30 अगस्त 1954 को एक कायस्थ परिवार में हुआ था. इनके पिता ठाकुर प्रसाद एक जाने माने वकील थे. रविशंकर प्रसाद की शिक्षा पटना यूनिवर्सिटी से हुई और यहीं से उन्होंने बीए, एमए और लॉ की पढ़ाई भी की.
रविशंकर प्रसाद की पहचान एक छात्र नेता के रूप में बनी. जेपी आंदोलन में सक्रिय और इंदिरा गांधी सरकार के खिलाफ इमरजेंसी के दौरान विरोध करने के कारण वह जेल में भी रहे. इसके अलावा उन्होंने एक वकील के तौर पर अपनी पहचान बनाई. वकालत पूरी करने के बाद रविशंकर प्रसाद ने पटना हाईकोर्ट और देश की सर्वोच्च न्यायालय में प्रैक्टिस की.
रविशंकर प्रसाद बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और आरेजडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के खिलाफ 900 करोड़ रुपये के चारा घोटाला केस में मुख्य वकील थे. इलाहाबाद हाईकोर्ट में अयोध्या मामले में भी वो वकील रहे.
उन्होंने 2000 में पहली बार चुनावी राजनीति में हाथ आजमाया और पहली बार सांसद बने तो अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार में उन्हें कोयला और खान राज्य मंत्री बनाया गया. 2006 में वह भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता नियुक्त किए गए. और इसी साल रविशंकर प्रसाद को बिहार से राज्यसभा भेजा गया. वो 19 साल तक राज्यसभा के सदस्य रहे.
मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में कानून एवं न्याय और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय का जिम्मा संभाला. मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ सदियों से चल रही हलाला और तीन तलाक जैसी कुप्रथाओं को खत्म करने में सबसे बड़ी भूमिका रविशंकर प्रसाद की रही थी. 30 जुलाई को तत्कालीन कानून मंत्री रविशकंर प्रसाद ने राज्यसभा में ट्रिपल तलाक बिल पेश किया था. राज्यसभा में ट्रिपल तलाक के पक्ष में 99 और विरोध में 84 वोट पड़े थे.
2019 लोकसभा चुनाव में भाजपा ने उन्हें बिहार की पटना साहिब सीट से चुनावी मैदान में उतारा. रविशंकर प्रसाद ने शत्रुघ्न सिन्हा को शिकस्त दी थी. 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने उन्हें दोबारा पटना साहिब सीट से चुनाव लड़ाया और उन्होंने फिर से जीते दर्ज की. उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी अंशुल अविजित को 1, 53, 846 वोटों के बड़े अंतर से हराया.
पूर्व केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद की पहचान भाजपा के प्रभावशाली प्रवक्ता और कद्दावर नेता तौर पर होती है. आज भी जब पार्टी या सरकार को किसी भी मुद्दे पर अपना पक्ष रखना होता है, तो उन्हें आगे रखा जाता है, वह मुखर होकर विपक्ष की बोलती भी बंद कर देते हैं.
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एसके/जीकेटी