बर्थडे स्पेशल : लिएंडर पेस; जिनके पिता भी दिला चुके हैं ओलंपिक में भारत को पदक

नई दिल्ली, 16 जून . टेनिस जगत में भारत को ख्याति दिलाने वाले लिएंडर पेस का जन्म 17 जून 1973 को कोलकाता में हुआ था. आपने महेश भूपति के साथ लिएंडर पेस की जोड़ी के बारे में जरूर सुना होगा, जिन्होंने साथ मिलकर भारतीय टेनिस इतिहास में कुछ यादगार पल जोड़े. लिएंडर पेस ने टेनिस में अटलांटा ओलंपिक में कांस्य पदक जीता था. दिलचस्प तथ्य यह है कि लिएंडर पेस के पिता ने भी देश के लिए ओलंपिक मेडल जीता था. बहुत ही कम लोग इस बारे में जानते हैं कि लिएंडर पेस के पिता ने 1972 म्यूनिख ओलंपिक में भारत के लिए मेडल जीता था.

जी हां! बहुत ही कम लोगों को पता है कि पिता-पुत्र की इस जोड़ी ने भारत के लिए ‘ओलंपिक मेडल’ जीते हैं.

लिएंडर पेस के पिता वीस पेस साल 1972 में भारत की उस ओलंपिक हॉकी टीम का हिस्सा थे, जिसने ‘ब्रॉन्ज मेडल’ जीता था. इतना ही नहीं, लिएंडर पेस की मां जेनिफर पेस नेशनल बास्केटबॉल टीम की कप्तान रह चुकी हैं. साल 1980 में उन्होंने ‘एशियन बास्केटबॉल चैंपियनशिप’ में भारतीय टीम का नेतृत्व किया था.

लिएंडर पेस साल 1992 में बार्सिलोना ओलंपिक, साल 1996 में अटलांटा ओलंपिक, साल 2000 में सिडनी ओलंपिक, साल 2004 में एथेंस ओलंपिक, साल 2008 में बीजिंग ओलंपिक, साल 2012 में लंदन ओलंपिक और साल 2016 में रियो ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं.

अटलांटा ओलंपिक (1996) में लिएंडर पेस ने देश को ‘कांस्य पदक’ दिलाया था. यह मेडल मेंस सिंगल्स में आया था, जो 44 वर्षों में भारत का पहला व्यक्तिगत ओलंपिक मेडल भी था. इससे पहले साल 1952 में कुश्ती में खशाबा जाधव ने ब्रॉन्ज मेडल जीता था. लिएंडर पेस टेनिस में ओलंपिक मेडल जीतने वाले इकलौते भारतीय खिलाड़ी हैं.

लिएंडर पेस ने ब्राजील के फर्नांडो मेलिगेनी को 3-6, 6-2, 6-4 से शिकस्त देकर यह पदक अपने नाम किया था. पेस उस मैच में चोटिल होने के बावजूद भारत को यह पदक दिलाने में कामयाब रहे.

महज 16 साल की उम्र में ‘डेविस कप’ में भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले लिएंडर पेस 18 ग्रैंड स्लैम जीत चुके हैं. लिएंडर पेस डेविस कप में दुनिया के सबसे सफलतम खिलाड़ियों में शुमार हैं. उन्होंने डेविस कप में 44 डबल्स मैच जीते हैं.

1992 से 2016 तक लगातार सात ओलंपिक में हिस्सा लेने वाले लिएंडर पेस को 1996–97 में ‘राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया था. इसके बाद साल 2001 में उन्हें ‘पद्म श्री’, जबकि साल 2014 में ‘पद्म भूषण’ पुरस्कार से नवाजा जा चुका है.

आरएसजी/एएस