गांधीनगर, 24 सितंबर . समग्र Gujarat इस समय विश्व का सबसे लंबा नृत्य पर्व नवरात्रि मना रहा है. नवरात्रि का पर्व नारीशक्ति के उत्सव तथा महिलाओं की सक्षमता को उजागर करने का पर्व है. महिलाएं आज सभी क्षेत्रों में प्रगति कर रही हैं, फिर वह शिक्षा क्षेत्र हो, खेल-कूद क्षेत्र हो या उद्योग जगत.
समग्र विश्व में आज जब महिला उद्यमियों की संख्या लगातार बढ़ रही है और महिलाओं के नेतृत्व में सफल औद्योगिक इकाइयां तथा स्टार्टअप्स के अनेक उदाहरण हैं, तब Gujarat भी इससे अछूता नहीं है. Gujarat की ऐसी ही एक महिला उद्यमी शिल्पा मलिक तथा उनके स्टार्टअप ‘बायोस्कैन रिसर्च’ के विषय में बात करनी है. उनके नेतृत्व में बायोस्कैन रिसर्च Gujarat के एक सफल स्टार्टअप के रूप में कार्यरत है, जो जानलेवा रोगों का प्रारंभिक निदान करने वाले चिकित्सा उपकरण बनाकर अनेक लोगों का जीवन बचा रहा है.
Prime Minister Narendra Modi ने महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण को सदैव प्राथमिकता दी है. Gujarat के Chief Minister के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान मोदी ने मिशन मंगलम योजना, वुमन स्पेशल इकोनॉमिक जोन, विशेष महिला औद्योगिक पार्क (वुमन एंटरप्रेन्योरशिप पार्क), महिला आर्थिक विकास निगम आदि की स्थापना की. Chief Minister भूपेंद्र पटेल Prime Minister मोदी की इन महिला केंद्रित योजनाओं को आगे बढ़ाकर वुमन लेड डेवलपमेंट के उनके विजन को चरितार्थ कर रहे हैं.
बायोस्कैन रिसर्च प्राइवेट लिमिटेड की स्थापना सितंबर-2017 में सह-संस्थापकों (को-फाउंडर्स) शिल्पा मलिक तथा अनुपम लवाणिया द्वारा Ahmedabad में की गई थी. शिल्पा मलिक बायोस्कैन रिसर्च की को-फाउंडर तथा चीफ टेक्नोलॉजी ऑफिसर हैं. वे हार्डवेयर इनोवेशन में एक दशक का अनुभव रखने वाली एक सफल टेक्नोप्रेन्योर हैं. उन्होंने डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट में वैज्ञानिक के रूप में सेवा दी है तथा मिलिटरी सेंसर सिस्टम डिजाइन व मैनेजमेंट पर कार्य किया है.
शिल्पा मलिक के नेतृत्व में बायोस्कैन रिसर्च ट्रॉमेटिक ब्रेन इंजरी जैसी जानलेवा बीमारी का अनाक्रामक रूप से (नॉन-इन्वेसिवली) प्रारंभिक निदान करने के लिए चिकित्सा उपकरणों को विकसित करता है तथा उनका परीक्षण करता है और उसके बाद उनका उत्पादन करता है तथा उचित दरों पर उनकी बिक्री करता है. इस समग्र प्रक्रिया के लिए वे ऑप्टिक्स, इलेक्ट्रॉनिक्स, मैकेनिक्स तथा सॉफ्टवेयर में डीपटेक का उपयोग करते हैं. बायोस्कैन रिसर्च ने इंट्राक्रेनियल रक्तस्राव, सरल शब्दों में ब्रेन इंजरी की पहले से जांच के लिए नॉन-इन्वेसिव, पोर्टेबल ऑनसाइड डिटेक्शन टूल्स विकसित किए हैं, जिससे समय रहते निदान कर लोगों का जीवन बचाया जा सके.
बायोस्कैन रिसर्च ने इंटरनेशनल सेंटर फॉर एंटरप्रेन्योरशिप एंड टेक्नोलॉजी (आई-क्रिएट), जो टेक इनोवेशन पर आधारित स्टार्टअप्स को वित्तीय सहायता देने वाला Gujarat Government का एक स्वायत्त संस्थान है, उससे सहायता प्राप्त की है. इसके अतिरिक्त; इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी)-Kanpur, बायोटेक्नोलॉजी इंडस्ट्री रिसर्च असिस्टेंट काउंसिल (बीआईआरएसी), डिपार्टमेंट ऑफ हेल्थ रिसर्च (डीएचआर) तथा इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) से भी इस स्टार्टअप को वित्तीय सहयोग प्राप्त हुआ है.
बायोस्कैन रिसर्च प्रा. लि. की जर्नी की चर्चा करते हुए उसकी को-फाउंडर शिल्पा मलिक कहती हैं, “हमारे परिवार के सदस्य को ब्रेन इंजरी हुई थी और उसके उपचार के दौरान हमें जानने को मिला कि समस्या ब्रेन इंजरी की नहीं है, बल्कि अर्ली डिटेक्शन यानी शीघ्र निदान की है और अनेक रोगी शीघ्र निदान न हो पाने के कारण पीड़ा सहन करते हैं. हमारा बैकग्राउंड तो टेक्निकल था ही. इसलिए हमने अर्ली डिटेक्शन के लिए मेडिकल डिवाइस विकसित करने के लिए स्टार्टअप शुरू करने का निश्चय किया. हमने 4-5 वर्ष रिसर्च में लगाए और सितंबर 2017 में बायोस्कैन रिसर्च की स्थापना की.”
ब्रेन इंजरी का निदान करने वाला मेडिकल डिवाइस बनाने के बाद उसका पेटेंट फाइल करने के लिए भी उन्हें Gujarat Government का सहयोग मिला. उन्होंने 3 वर्ष क्लिनिकल रिसर्च के लिए लगाए. इस दौरान उन्होंने अपने बनाए डिवाइस का रोगियों पर परीक्षण किया. Gujarat में परीक्षणों के बाद समग्र India के विभिन्न अस्पतालों में उनके बनाए ब्रेन इंजरी के अर्ली डिटेक्शन के चिकित्सा उपकरणों का परीक्षण किया गया. इनमें एनआईएमएचएएनएस-बेंगलुरू तथा एम्स-भोपास जैसे देश के अग्रणी अस्पतालों के न्यूरोसर्जन भी शामिल हुए. 2 वर्ष की क्लिनिकल रिसर्च के दौरान 1500 रोगियों पर परीक्षण किया गया है और 11,000 ब्रेन स्कैन किए गए. सफल परीक्षणों के बाद उन्होंने इस डिवाइस को बिक्री के लिए लॉन्च किया.
शिल्पा मलिक ने बताया कि अब तक ऑल ओवर इंडिया में वे अपने उत्पाद के लगभग 70 यूनिट्स की बिक्री कर चुके हैं. उनके द्वारा विकसित किए गए डिवाइस की परफॉर्मेंस एक्यूरेसी 95 प्रतिशत तथा सेंसेटिविटी 97 प्रतिशत है. वे कहती हैं, “इस मेडिकल डिवाइस के लिए Governmentी विभाग से हमें बहुत अच्छा रिस्पॉन्स मिला है और हम सर्वाधिक डिवाइस की बिक्री भी Government को ही यानी प्राथमिक एवं सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों तथा ट्रॉमा सेंटरों में करते हैं.” उनके डिवाइस की हाई एक्यूरेसी को देखते हुए डॉक्टर्स भी उन पर भरोसा जताते हैं.
शिल्पा मलिक के सफल नेतृत्व में बायोस्कैन रिसर्च को कई प्रतिष्ठित अवॉर्ड्स या मान्यताएं मिले हैं, जिनमें इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) द्वारा बेस्ट एक्स्ट्राम्यूरल रिसर्च अवॉर्ड (2024), इंडिया इजराइल इनोवेशन चैलेंज के विजेता के रूप में सम्मान, अमेरिकन सोसाइटी ऑफ मैकेनिकल इंजीनियर्स (एएसएमई) द्वारा बेस्ट हेल्थकेयर इनोवेशन ऑफ इंडिया अवॉर्ड, हाल ही में, जीआईटेक्स (जीटेक्स) थाईलैंड द्वारा सुपरनोवा विजेता (बेस्ट डिजी हेल्थ एंड बायोटेक इनोवेशन ऑफ इंडिया), यूनिट्स सीड फंड स्टारहेल्थ 2017 अंतर्गत बेस्ट हेल्थकेयर स्टार्टअप ऑफ इंडिया, एआईसीटीई कनाडा इंडिया एक्सीलरेशन प्रोग्राम द्वारा India के चोटी के 10 वुमन लेड टेक स्टार्टअप्स में स्थान, टीआईई-बीआईआरएसी डब्लूआईएनईआर द्वारा India के चोटी के 15 वुमन लेड बायोटेक स्टार्टअप में स्थान, इनफोसिस स्टार्टअप-प्रेन्योर के विजेता शामिल हैं.
–
डीकेपी/