वाराणसी, 3 जुलाई . वाराणसी के भुल्लनपुर क्षेत्र की रहने वाली समाज सेविका बीना सिंह ने एक अनूठा प्रयास शुरू किया है. उन्होंने गांव की अंगूठा छाप महिलाओं को शिक्षित करने का बीड़ा उठाया है. अपने प्रयासों से वो इस गांव को निरक्षर से साक्षर बनाने में बड़ी भूमिका निभा रही हैं.
बीना सिंह के इस प्रयास से भुल्लनपुर गांव में कल तक अंगूठा छाप, अनपढ़-गवार कहलाने वाली महिलाएं अब हस्ताक्षर करना सीख गई हैं. जो महिलाएं कल तक अपने हाथों से कलम नहीं पकड़ती थी, वह आज पढ़-लिखकर समाज में अपना नाम रोशन कर रही हैं. बीना की पाठशाला में 50 साल से लेकर 95 साल तक की वृद्ध महिलाएं पढ़ाई कर रही हैं और अपने ऊपर लगे अनपढ़ के धब्बे को हटाने में जुटी हैं.
बीना सिंह जब शादी के बाद गांव आईं तो महिलाओं के अनपढ़ होने का दर्द उन्हें परेशान करने लगा. वह खुद पोस्ट ग्रेजुएशन से लेकर प्रोफेशनल कोर्स भी कर चुकी हैं. वह यह जानती थी कि महिलाओं का शिक्षित होना कितना जरूरी है और यही वजह थी कि अनपढ़ वृद्ध महिलाओं को उन्होंने शिक्षित करने का मन बनाया.
बीना सिंह गांव-गांव और घर-घर जाकर वृद्ध महिलाओं को पढ़ने के लिए प्रोत्साहित करने लगीं और फिर अपने घर के एक कमरे में वृद्ध महिलाओं के लिए पाठशाला शुरू की. इसके बाद देखते ही देखते वहां पढ़ने वाली महिलाओं की संख्या पांच से 50 और 50 से 65 हो गई. मौजूदा समय में वह हर रोज शाम को दो घंटे शिक्षा देने का काम करती हैं.
बीना सिंह वृद्ध महिलाओं को शिक्षित करने के लिए आइडियल वूमेन वेलफेयर सोसाइटी के साथ मिलकर काम कर रही हैं. इस मुहिम को उनके पति भी उनका पूरा सहयोग करते हैं. पति चंद्रशेखर सिंह की अगर हम बात करें तो वह एक छोटी सी डेयरी चलाते हैं.
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पीएसके/