बिक्रम मजीठिया को फंसाया गया, कांग्रेस और ‘आप’ ने रची साजिश : सुखबीर सिंह बादल

चंडीगढ़, 28 जून . शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) के अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल ने Saturday को चंडीगढ़ स्थित पार्टी मुख्यालय में एक प्रेस कांफ्रेंस को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने कांग्रेस और आम आदमी पार्टी (आप) पर गंभीर आरोप लगाए. बादल ने कहा कि पूर्ववर्ती Governmentों ने अकाली दल, बादल परिवार और अब बिक्रम सिंह मजीठिया के खिलाफ सुनियोजित साजिशें रचीं.

सुखबीर बादल ने कहा कि कैप्टन अमरिंदर सिंह ने उन पर और प्रकाश सिंह बादल पर 3,500 करोड़ रुपए के घोटाले का आरोप लगाया था, लेकिन अंत में जांच के बाद केवल 40 करोड़ रुपए का हिसाब भी मुश्किल से मिला. जांच अधिकारी चट्टोपाध्याय को उस समय भी अकाली दल के खिलाफ लगाया गया था. बेबुनियाद बेअदबी के आरोप भी लगाए गए, लेकिन कुछ साबित नहीं हो सका. हमारी Government के कार्यकाल में नशा तस्कर भोल्ला को गिरफ्तार किया गया था और उसी के बयान के आधार पर अब बिक्रम मजीठिया पर आरोप लगाए जा रहे हैं. कांग्रेस की Government ने अपने पांच साल के कार्यकाल में कोई कार्रवाई नहीं की, लेकिन 2021 में चुनाव से ठीक पहले अचानक मामला दर्ज किया गया. आज तक उस केस में एक भी चालान दाखिल नहीं किया गया.

उन्होंने कहा कि बिक्रम मजीठिया को अदालत से राहत मिली. कोर्ट ने अपने आदेश में साफ लिखा कि न तो नशे से जुड़ा कोई सबूत मिला और न ही कोई मनी ट्रेल. पांच एसआईटी बनीं, पर कोई सबूत नहीं मिला. मामला ईडी को सौंपा गया, वहां भी कुछ नहीं मिला. इसके बावजूद Government ने Supreme court में जमानत रद्द करने की याचिका दायर की, जिसे Supreme court ने भी खारिज कर दिया.

बादल ने कहा कि पंजाब के Chief Minister भगवंत मान और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मजीठिया मुखर हैं, इसलिए उन्हें Political रूप से निशाना बनाया जा रहा है. Supreme court का आदेश अप्रैल में आया, लेकिन इसके बाद 24 जून को Chief Minister ने डीजीपी पर दबाव बनाकर मजीठिया को गिरफ्तार करने को कहा. Government ने Supreme court में दिए गए शपथपत्र को ही नया First Information Report बना दिया जबकि पहले दर्ज First Information Report में उन्हें क्लीन चिट मिल चुकी थी.

नए First Information Report में 512 करोड़ रुपए की नशे की विदेशी फंडिंग का आरोप लगाया गया है, जिस पर सुखबीर बादल ने सफाई दी कि यह धनराशि 2005 में एक वैध निवेश के तहत आई थी, जब न तो बिक्रम मजीठिया राजनीति में थे और न ही अकाली दल की Government सत्ता में थी.

उन्होंने स्पष्ट किया कि सराया इंडस्ट्री बिक्रम मजीठिया की पुश्तैनी संपत्ति है और वह 11 दिसंबर 2005 को कंपनी के निदेशक पद से इस्तीफा दे चुके थे. यह निवेश बैंक के माध्यम से हुआ था और इसमें आरबीआई की निगरानी रही है. आयकर विभाग ने भी हर साल कंपनी की जांच की है और उसे सही पाया है. बादल ने सवाल उठाया कि पंजाब Police रिटायर्ड अफसरों को क्यों बुला रही है? ईडी के पास पहले से ही सारी जानकारी है. अकाली दल के पास Government के खिलाफ सारे दस्तावेजी सबूत मौजूद हैं और सत्ता में आने पर इन्हें उजागर किया जाएगा.

उन्होंने कहा कि जिस कंपनी को शेल कंपनी कहा जा रहा है, उसका सालाना टर्नओवर 50 हजार करोड़ रुपए है और उसका सराया इंडस्ट्री में किया गया निवेश पूरी तरह वैध है. साल 2005 के बाद एक रुपए का भी कोई लेनदेन नहीं हुआ. हम इस मामले में कानूनी सलाह लेकर विजिलेंस के खिलाफ कोर्ट जाएंगे.

पीएसके/एकेजे