बिहार एसआईआर प्रक्रिया: मतदाता सूची में त्रुटियों को लेकर विपक्ष ने अब तक नहीं दर्ज कराई कोई आपत्ति

पटना, 7 अगस्त . बिहार में एसआईआर प्रक्रिया पर हंगामा करने वाले एक भी राजनीतिक दल ने मतदाता सूची में त्रुटियों को लेकर आपत्ति नहीं जताई है. चुनाव आयोग ने Thursday को अपने दैनिक बुलेटिन में इसकी जानकारी साझा की.

चुनाव आयोग के अनुसार, मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण के लिए अलग-अलग राजनीतिक दलों के 1.60 लाख से अधिक बीएलए नियुक्त किए थे. इनमें भाजपा के 53,338 और सहयोगी पार्टी जदयू के 36,550 बीएलए शामिल हैं. विपक्षी दलों में राजद ने 47,506 और कांग्रेस ने 17,549 बीएलए इस प्रक्रिया के लिए नियुक्त किए थे.

चुनाव आयोग बार-बार कह रहा है कि बिहार की अंतिम मतदाता सूची में कोई भी योग्य मतदाता छूटने न पाए और कोई भी अयोग्य मतदाता जुड़ने न पाए. इसी कड़ी में चुनाव आयोग ने सभी को कहा कि एक अगस्त को जारी की गई बिहार की प्रारूप मतदाता सूची में कोई भी त्रुटि दूर करने के लिए अपने दावे और आपत्ति दर्ज करें. हालांकि, अभी तक किसी भी राजनीतिक दल ने एक भी दावा या आपत्ति नहीं दर्ज की है. आयोग ने दैनिक बुलेटिन में इसकी जानकारी साझा की.

एक प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया, “भारत निर्वाचन आयोग, भारत के संविधान और कानून के अनुसार बिहार की मतदाता सूचियों का पुनरीक्षण कर रहा है. नागरिकों को पूरी जानकारी देने के लिए नियमित प्रेस विज्ञप्तियां (पीएन) और विज्ञापन जारी किए जा रहे हैं. नागरिकों को यह भी ज्ञात है कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम-1950 और मतदाता पंजीकरण नियम-1960 के अनुसार प्रत्येक चुनाव से पहले मतदाता सूची का पुनरीक्षण अनिवार्य है.”

बिहार देश का पहला राज्य बना है, जिसने एक बूथ पर अधिकतम 1,200 मतदाताओं की सीमा तय की है, ताकि लंबी कतारों से बचा जा सके. इसके परिणामस्वरूप मतदान केंद्रों की संख्या 77,895 से बढ़ाकर 90,712 कर दी गई है. इसी प्रकार, बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) की संख्या भी 77,895 से बढ़ाकर 90,712 कर दी गई है.

डीसीएच/