बिहार एसआईआर: अमित मालवीय ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर फैली भ्रांतियों को किया खारिज

New Delhi, 24 अगस्त . भाजपा आईटी सेल के अध्यक्ष अमित मालवीय ने Supreme court के 22 अगस्त के आदेश के बाद फैली कई गलत व्याख्याओं पर स्पष्टता दी है, खासकर आधार से संबंधित त्रुटिपूर्ण दावे के संदर्भ में.

अमित मालवीय ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर पोस्ट करते हुए स्पष्ट किया कि Supreme court ने कभी ये नहीं कहा, न ही इशारा किया कि एसआईआर के लिए आधार कार्ड को मान्य दस्तावेज के रूप में माना जाए. उन्होंने कहा, “बार-बार न्यायालय की पॉइंट 9 को पढ़ें, कहीं ऐसा मार्गदर्शन नहीं है.”

मालवीय ने ‘एक्स’ पोस्ट में लिखा कि राष्ट्रीय मतदाता पंजीकरण अधिनियम, 1950 की धारा 16 बताती है कि कोई व्यक्ति वोटर सूची में तभी शामिल हो सकता है, जब वह भारतीय नागरिक हो, मानसिक रूप से स्वस्थ हो, और किसी चुनाव या भ्रष्टाचार अपराध के तहत अयोग्य घोषित न हो.

अमित मालवीय ने आधार अधिनियम का जिक्र करते हुए कहा कि आधार अधिनियम सिर्फ पहचान और निवास प्रमाण के लिए है, नागरिकता या निवास की पुष्टि का प्रमाण नहीं है. इसका मतलब है कि यदि आधार को ही वोटर सूची में शामिल होने के लिए पर्याप्त माना जाए, तो धारा 16 और आधार अधिनियम दोनों ही निरर्थक हो जाएंगे.

असल में, यह वही Supreme court की बेंच थी, जिसने 12 अगस्त को स्पष्ट किया था कि आधार नागरिकता साबित करने वाला वैध दस्तावेज नहीं है.

अमित मालवीय ने चेतावनी दी है कि Supreme court को बिना बताए कुछ कहना अदालत का अपमान हो सकता है. उन्होंने मीडिया, राजनीतिक दलों और एक्टिविस्ट्स से अपील की कि वे कोर्ट के शब्दों का गलत प्रचार न करें.

मालवीय ने कहा कि कोर्ट ने बताया कि 84,305 नामों के विरुद्ध आपत्तियां सीधे मतदाताओं से मिलीं. वहीं 2,63,257 नए मतदाताओं ने अपनी नामांकन फॉर्म जमा किए. अगर कोई राजनीतिक दल पंजीकृत मतदाता सूची में गलत नाम या छूटे नाम देखता है, तो उसे संबंधित ईआरओ को समय सीमा में लिखित रूप में जानकारी देनी होगी.

मालवीय ने पॉइंट 7 का हवाला देते हुए कहा कि 1,60,813 बीएलए नियुक्त किए गए, पर सिर्फ 2 आपत्तियां मिलीं. कुछ दलों ने अदालत में कहा कि उनके बीएलए को आपत्तियां दर्ज करने की अनुमति तक नहीं दी जा रही. Supreme court ने इस निष्क्रियता पर आश्चर्य जताया.

मालवीय ने ‘एक्स’ पोस्ट में बिहार में हो रहे मतदाता पुनरीक्षण के तथ्यों के बारे में कुछ इस प्रकार से लिखा.

65 लाख नाम हटा दिए गए, जिनमें मृत, फर्जी, बांग्लादेशी और रोहिंग्या नाम शामिल हैं. कोर्ट ने निर्देश दिया कि सूची प्रकाशित की जाए, ताकि वास्तविक मतदाता शिकायत कर शामिल हो सकें.

22 दिनों में सिर्फ 84,305 आपत्तियां आईं, जो कुल 65 लाख का केवल 1.3 प्रतिशत है. यह वोट चोरी का दावा असंभव बनाता है.

Supreme court ने निर्देश दिया कि हर बीएलए प्रतिदिन कम से कम 10 वास्तविक मतदाताओं को पुनः सूची में शामिल करे.

एसआईआर प्रक्रिया कायम है. आधार अकेले किसी को मतदाता सूची में शामिल नहीं कर सकता.

डेड, फर्जी, बांग्लादेशी और रोहिंग्या नाम हटाए जाएंगे. केवल भारतीय नागरिक ही अगली सरकार का निर्वाचन कर सकेंगे.

अमित मालवीय ने ‘एक्स’ पोस्ट के अंत में लिखा, “प्रचार की खाक में मत खो जाइए. Supreme court जमीनी सच्चाई देख रहा है, आपको भी समझ लेना चाहिए.”

वीकेयू/डीकेपी