कैमूर, 31 दिसंबर . राजद सांसद सुधाकर सिंह ने बीपीएससी प्रत्याशियों के मुद्दे पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर जुबानी हमला बोला. उन्होंने कहा कि नीतीश सरकार की हालत इतनी खराब हो चुकी है कि अब बिहार के छात्रों के साथ भी आतंकवादियों और नक्सलियों जैसा व्यवहार किया जा रहा है. बीपीएससी अभ्यर्थियों पर ठंड के मौसम में वाटर कैनन का इस्तेमाल किए जाने पर सुधाकर सिंह ने कहा कि ऐसा व्यवहार नक्सलियों और आतंकवादियों के साथ भी नहीं किया जाता.
सुधाकर सिंह ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा कि यह कोई पहली बार नहीं है जब नीतीश कुमार की सरकार ने इस तरह का व्यवहार किया हो. अगर हम इतिहास पर नजर डालें तो यह साफ होता है कि नीतीश कुमार के शासन में असंतुष्टों के साथ कभी भी सम्मान का व्यवहार नहीं किया गया. लालू प्रसाद यादव के शासन में जो भी असंतुष्ट लोग थे, उनका सम्मान होता था, लेकिन नीतीश कुमार के राज में जो भी असंतुष्ट होते हैं, उनके साथ लाठीचार्ज और बर्बरता की जाती है.
उन्होंने कहा कि यह अत्यंत शर्मनाक है कि छात्रों की साधारण मांग के बावजूद सरकार का व्यवहार इतना क्रूर है. छात्रों ने केवल यह मांग की थी कि बीपीएससी परीक्षा में पेपर लीक हुआ है, और जब यह सत्यापित हो गया कि पेपर लीक हुआ था, तो राज्य सरकार ने एक सेंटर को खारिज कर दिया. सभी सेंटर को खारिज करके परीक्षा नए सिरे से ली जानी चाहिए थी.
राजद सांसद ने कहा कि यह पहली बार है कि देश में ऐसा देखा जा रहा है कि एक परीक्षा का हिस्सा खारिज किया जाता है, लेकिन बाकी के परिणाम वैसे के वैसे रखे जाते हैं. यह एक गंभीर और दुःखद विषय है. उन्होंने आरोप लगाया कि बिहार में परीक्षा के माफिया सक्रिय हैं और राज्य सरकार के कुछ लोग उनके साथ मिलकर भ्रष्टाचार कर रहे हैं. सरकार ने एक सेंटर को खारिज किया, लेकिन इस कदम से छात्रों को कोई राहत नहीं मिली. यह सिर्फ उनका गुमराह करने का तरीका था.
सुधाकर सिंह ने बिहार में परीक्षा माफिया के बारे में कहा कि यह साफ है कि जो लोग परीक्षा आयोजित करने का काम देख रहे हैं, वह माफिया के साथ मिलकर सरकार में बैठे लोगों से एडवांस ले चुके हैं. उनकी मदद से ही यह सब हो रहा है. यह साबित हो रहा है कि नीतीश कुमार की सरकार इन माफियाओं को बचाने के लिए काम कर रही है और इस घोटाले में उनके ही लोग शामिल हैं.
उन्होंने आगे कहा कि हमारी सरकार छात्रों और युवाओं के पक्ष में खड़ी रही है, लेकिन नीतीश कुमार की सरकार ने तो छात्रों को ही शिकार बना दिया है. ऐसे में बिहार में शासन चलाने का क्या मतलब है?
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पीएसके/एकेजे