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Patna, 24 अक्टूबर . बिहार के बांका जिले का धोरैया विधानसभा सीट अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित है. यह क्षेत्र राजौन और धोरैया प्रखंडों को मिलाकर बना है और बांका Lok Sabha क्षेत्र के छह विधानसभा क्षेत्रों में से एक है. धोरैया अपनी ऐतिहासिक, धार्मिक और Political विशेषताओं के कारण पूरे जिले में अलग पहचान रखता है.
धोरैया का Political इतिहास बताता है कि यहां की जनता ने कभी किसी एक दल को प्राथमिकता नहीं दी. धोरैया विधानसभा सीट की स्थापना 1951 में हुई थी. अब तक यहां 17 विधानसभा चुनाव हो चुके हैं. कांग्रेस, सीपीआई और जदयू (समता पार्टी सहित) ने 5-5 बार जीत दर्ज की. 1969 में निर्दलीय उम्मीदवार विजयी रहा.
अगर 2020 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो राजद ने पहली बार इस सीट पर कब्जा जमाया, जब भूदेव चौधरी ने जदयू के मनीष कुमार को हराया. जदयू ने मनीष कुमार पर फिर से विश्वास जताते हुए उन्हें टिकट दिया है. राजद ने भूदेव चौधरी की बजाय त्रिभुवन प्रसाद को कैंडिडेट बनाया है. जन स्वराज पार्टी से सुमन पासवान मैदान में हैं.
धोरैया का धनकुंड नाथ महादेव मंदिर इस इलाके की धार्मिक आस्था का प्रमुख केंद्र है. यह मंदिर धनकुंड पंचायत में स्थित है और माना जाता है कि इसका इतिहास सैकड़ों वर्ष पुराना है. स्थानीय मान्यताओं के अनुसार, यह प्राचीन शिव मंदिर मुगल काल में भी एक प्रसिद्ध पूजा स्थल था. मंदिर की संरचना में मुगलकालीन स्थापत्य के अवशेष आज भी देखे जा सकते हैं.
इसके अलावा, धोरैया में एक प्राचीन काली मंदिर भी स्थित है, जो स्थानीय लोगों के बीच श्रद्धा का केंद्र है. वहीं, राजौन प्रखंड के धनसार गांव में स्थित दुर्गा मंदिर और बटसार के दुर्गा बाजार की दुर्गा मंडप भी अत्यंत प्रसिद्ध हैं. बताया जाता है कि दुर्गा बाजार की पूजा परंपरा बनारस शैली पर आधारित है और 1970 के दशक से इसकी ख्याति बिहार और Jharkhand तक फैली हुई है.
भौगोलिक दृष्टि से देखें तो धोरैया क्षेत्र के आसपास आधा दर्जन नदियां बहती हैं, जिससे यहां की भूमि अत्यंत उपजाऊ बन गई है. यही कारण है कि यह इलाका मुख्यतः कृषि आधारित अर्थव्यवस्था वाला क्षेत्र माना जाता है.
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डीसीएच/वीसी