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Patna, 25 अक्टूबर . Patna साहिब विधानसभा सीट भारतीय जनता पार्टी का एक ऐसा अभेद्य किला है, जिसे भेदने में विरोधी दल पिछले कई दशकों से नाकाम रहे हैं. Patna साहिब की Political चर्चा इस सीट पर लगातार सात बार जीत दर्ज कर चुके भाजपा के वरिष्ठ नेता नंद किशोर यादव के बिना अधूरी है.
यह सात जीत का सिलसिला अपने आप में एक Political इतिहास है.
नंद किशोर यादव ने अपनी Political यात्रा छात्र नेता के रूप में जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व वाले ‘संपूर्ण क्रांति’ आंदोलन के दौरान शुरू की थी. देश में आपातकाल के दौरान उन्हें जेल भी जाना पड़ा, यहीं से उनका सक्रिय Political जीवन शुरू हुआ. आज वह बिहार विधानसभा के वर्तमान अध्यक्ष और भाजपा के सबसे कद्दावर नेताओं में से एक हैं.
1957 से 2008 तक यह क्षेत्र ‘Patna ईस्ट विधानसभा क्षेत्र’ के नाम से जाना जाता था. नंद किशोर यादव ने इस सीट पर लगातार चार बार जीत दर्ज की. 2008 में परिसीमन के बाद सीट का नाम बदलकर ‘Patna साहिब’ हुआ और 2010 में पहला चुनाव हुआ. यहां से भी उन्होंने लगातार तीन बार विधायक के रूप में जीत हासिल की.
उनकी जीत का अंतर लगातार बढ़ता ही गया है. Patna साहिब पूरी तरह से एक शहरी निर्वाचन क्षेत्र है. यह सीट Patna साहिब Lok Sabha क्षेत्र के अंतर्गत आती है. 2020 के विधानसभा चुनावों ने एक बार फिर भाजपा के इस गढ़ को अभेद्य साबित कर दिया.
उस चुनाव में नंद किशोर यादव का सीधा मुकाबला इंडियन नेशनल कांग्रेस के उम्मीदवार प्रवीन सिंह से था. इस कांटे की टक्कर में भी यादव ने अपनी पकड़ बनाए रखी और भारी वोटों के एक बड़े अंतर से जीत हासिल की.
यह सीट भाजपा के पूर्ववर्ती दल भारतीय जनसंघ के दिनों से ही उसका गढ़ रहा है. यहां के मतदाता शहरी मुद्दों, विकास और भाजपा की स्थापित साख पर अधिक ध्यान केंद्रित करते हैं.
Patna का नाम जब भी जुबान पर आता है, एक शांत और गहरी आस्था की भावना खुद ही मन में जागृत हो जाती है. वजह है सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोविंद सिंह जी की जन्मभूमि-तख्त श्री Patna साहिब. यह भव्य गुरुद्वारा सिख समुदाय के पांच तख्तों में से एक है और दुनियाभर के सिखों के लिए एक पवित्र तीर्थस्थल है.
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वीकेयू/वीसी