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New Delhi, 29 अक्टूबर . बिहार में कैमूर जिले की भबुआ विधानसभा सीट उन सीटों में से एक है, जहां हर बार चुनाव में विधायक बदल दिए जाते हैं. बीते चार बार से हर बार यहां के मतदाता अलग-अलग पार्टी से अपना प्रतिनिधि चुन रहे हैं.
वर्तमान में यहां से विधायक भरत बिंद हैं, जिन्होंने 2020 के विधानसभा चुनाव में राजद के टिकट पर चुनाव लड़ा था, लेकिन इस बार वे भाजपा में शामिल हो गए और एक बार फिर चुनाव मैदान में हैं. इधर भरत बिंद के राजद छोड़ने के बाद पार्टी ने यहां से बीरेंद्र कुशवाहा को चुनावी समर में उतारा है.
इस सीट का इतिहास देखा जाए तो 2005 से लेकर 2020 के चुनाव तक मतदाताओं ने हर चुनाव में अलग-अलग दलों के सिर जीत का सेहरा बांधा. 2005 के विधानसभा चुनाव में जदयू ने इस सीट पर जीत हासिल की. 2010 में लोजपा, 2015 में भाजपा और 2020 में राजद ने चुनाव जीता.
इस सीट पर 2015 में कमल खिला था. यह वह दौर था, जब एनडीए से नाता तोड़कर नीतीश कुमार ने लालू प्रसाद यादव के साथ मिलकर चुनाव लड़ा. इस चुनाव में महागठबंधन की Government तो बनी, लेकिन भबुआ सीट उनके हाथ से निकल गई.
हालांकि, 2020 के विधानसभा चुनाव में जब नीतीश एक बार फिर एनडीए के साथ मिलकर चुनाव लड़े तो जनता ने राजद के उम्मीदवार पर मुहर लगा दी.
इस विधानसभा क्षेत्र में कुल जनसंख्या 478902 है. इनमें से कुल मतदाता 280979 हैं. इसमें पुरुष मतदाता 146525, महिला मतदाता 134451 और थर्ड जेंडर के 3 वोटर शामिल हैं.
इस विधानसभा सीट पर ब्राह्मण, कायस्थ और अन्य पिछड़ी जातियां प्रमुख हैं. यहां धान, गेहूं और दालों की फसल की जाती है, लेकिन यहां किसान प्राकृतिक आपदाओं और विकास की कमी से जूझ रहे हैं. ग्रामीण इलाकों में आज भी बुनियादी सुविधाओं और आर्थिक अवसरों की कमी प्रमुख चुनौतियां हैं.
यहां के स्थानीय लोग अच्छे स्कूल, अस्पताल और डिस्पेंसरी की मांग कर रहे हैं. लोगों का मानना है कि हर बार नेता बड़ी-बड़ी बातें करके चले जाते हैं, लेकिन चुनाव जीतने के बाद कोई सुध नहीं लेता है. इस बार जो विकास करेगा, वोट उसी को देंगे.
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डीकेएम/वीसी