बिहार : नए साहित्य के साथ कालजयी रचनाएं बनी पुस्तक प्रेमियों की पसंद

पटना, 14 दिसंबर . पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में चल रहे सेंटर फॉर रीडरशिप डेवलपमेंट (सीआरडी) द्वारा आयोजित पटना पुस्तक मेला में पुस्तक प्रेमियों की पसंद नए साहित्य के साथ कालजयी पुस्तकें बन रही हैं.

इस महीने की 17 तारीख तक चलने वाले इस पुस्तक मेला में प्रतिदिन पुस्तक प्रेमियों का हुजूम उमड़ रहा है. शाम के समय पुस्तक प्रेमियों की भीड़ के कारण प्रकाशकों के स्टॉल भरे रह रहे हैं.

स्कूली बच्चे जहां अपने अभिभावकों के साथ पुस्तक खरीदने आ रहे हैं तो कॉलेज के छात्र-छात्राएं अपनी पसंदीदा पुस्तक की तलाश में पुस्तक मेले का दीदार कर रहे हैं. कई बुजुर्ग पुस्तक प्रेमी भी पुस्तक मेले में अपने ज्ञान की वृद्धि के लिए पुस्तक की खोज में भटक रहे हैं. कुल मिलाकर सभी उम्र के लोग इस पुस्तक मेला में आ रहे है. जमकर हो रही पुस्तकों की बिक्री के कारण प्रकाशक भी खुश हैं.

प्रभात प्रकाशन के अमित शर्मा कहते हैं कि महान साहित्यकारों के साथ महापुरुषों की जीवनी की मांग खूब हो रही है. स्वामी विवेकानंद, एपीजे अब्दुल कलाम , रतन टाटा की जीवनी की पुस्तकें बिक रही हैं.

मेले में प्रेमचंद की पुस्तकों की भी मांग हो रही है तो फणीश्वर नाथ रेणु के मैला आंचल भी पाठक खोज रहे हैं.

पुस्तक मेला में शोध करने वाले एक छात्र भी पहुंचे मिले. उन्होंने कहा, “पुस्तक प्रेमी के लिए पटना पुस्तक मेला से अच्छी जगह कोई नहीं हो सकती. डिजिटल में वह अहसास नहीं होता है, किताब का एहसास ‘किताब’ में ही होता है. किताब पढ़ कर खुद को प्रोत्साहित करता हूं. किताब के अहसास को लोग महसूस करें. यह डिजिटल में नहीं मिलता है.”

एक बुक स्टॉल पर मौजूद अंकित कहते हैं कि धार्मिक पुस्तकें भी खूब बिक रही हैं. इस पुस्तक मेले में इस बार नए साहित्यकारों की पुस्तकों खासकर बिहार के लेखकों की लिखी पुस्तक भी खूब बिक रही हैं.

‘पेड़, पानी, जिंदगी, पर्यावरण बदलो अभी’ थीम पर आधारित इस साल का पटना पुस्तक मेला भारत की लोकप्रिय गायिका पद्मभूषण शारदा सिन्हा और पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित चर्चित लेखिका उषा किरण खान को समर्पित किया गया है.

इस मेले में प्रमुख प्रकाशकों में प्रभात प्रकाशन, राजकमल, वाणी, प्रकाशन संस्थान, नॉवेल्टी एंड कंपनी, समयक प्रकाशन, ज्ञान गंगा, प्रकाशन विभाग, साहित्य अकादमी सहित कई प्रकाशक शामिल हैं. यहां आने वाले लोगों के लिए पुस्तक के साथ कई कार्यक्रम भी आयोजित किये जा रहे हैं.

एमएनपी/एएस