Patna, 9 अक्टूबर . बिहार के गया जिले में स्थित बेलागंज विधानसभा क्षेत्र सिर्फ Political दृष्टि से विशेष महत्व रखता है. यह मगध क्षेत्र का हिस्सा है और गया शहर से करीब 25 किलोमीटर दक्षिण-पश्चिम में फल्गु नदी के किनारे बसा हुआ है.
बेलागंज का इतिहास मगध की समृद्ध परंपरा से जुड़ा हुआ है. गया और बोधगया की निकटता के कारण इस क्षेत्र में बौद्ध और हिंदू दोनों परंपराओं का गहरा प्रभाव रहा है. हालांकि, बोधगया की तरह यहां पर्यटन का विकास नहीं हो सका है. यहां की प्रमुख भाषा मगही है, जो क्षेत्र की सांस्कृतिक पहचान को दर्शाती है.
शिक्षा के क्षेत्र में भी बेलागंज की अपनी पहचान है. यहां स्थित महाबोधि महाविद्यालय की स्थापना 1980 में हुई थी. यह मगध विश्वविद्यालय, बोधगया से स्थायी रूप से संबद्ध और बिहार Government से अनुमोदित संस्था है. यह Governmentी सहायता प्राप्त कॉलेज गया रेलवे जंक्शन से लगभग 15 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है.
बेलागंज की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से कृषि पर आधारित है. खेती के अलावा यहां चावल मिल, मिट्टी के बर्तन और हस्तशिल्प जैसे लघु उद्योगों से भी लोगों का जीवनयापन होता है. सामाजिक दृष्टि से देखें तो यह एक सामान्य वर्ग की विधानसभा सीट है, लेकिन यहां अनुसूचित जातियों की आबादी 29.59 प्रतिशत और मुस्लिम मतदाता करीब 15.8 प्रतिशत हैं, जो चुनावी समीकरण में निर्णायक भूमिका निभाते हैं.
बेलागंज विधानसभा सीट की स्थापना 1962 में हुई थी, और यह गया Lok Sabha क्षेत्र के छह विधानसभा क्षेत्रों में से एक है. अब तक यहां 17 बार चुनाव हो चुके हैं, जिनमें दो उपचुनाव भी शामिल हैं. शुरुआती दशकों में यहां कांग्रेस का दबदबा था; पार्टी ने पांच बार यह सीट जीती. बाद के वर्षों में राजद (राष्ट्रीय जनता दल) ने अपनी पकड़ मजबूत की और सात बार यहां जीत दर्ज की. इसके अलावा, जनता दल ने दो बार, जबकि संयुक्त Samajwadi Party, जनता पार्टी और जदयू ने एक-एक बार जीत हासिल की है.
2024 में बेलागंज में हुए उपचुनाव ने इस क्षेत्र की राजनीति को नया मोड़ दिया. राजद के दिग्गज नेता और लंबे समय से विधायक सुरेंद्र प्रसाद यादव जब जहानाबाद Lok Sabha सीट से सांसद चुने गए, तो उनके इस्तीफे से यह सीट खाली हुई. इस उपचुनाव में जदयू की मनोरमा देवी ने निर्णायक जीत हासिल की, जिससे राजद की लगातार सात जीतों की श्रृंखला टूट गई.
दिलचस्प बात यह रही कि Lok Sabha चुनाव में एनडीए के जीतन राम मांझी ने गया सीट जीती थी, लेकिन बेलागंज विधानसभा क्षेत्र में राजद को मामूली वोटों की बढ़त मिली थी. इसके बावजूद उपचुनाव में जदयू की जीत ने संकेत दिया कि बेलागंज में एनडीए का प्रभाव बढ़ रहा है.
2025 के विधानसभा चुनावों में बेलागंज एक बार फिर राजद बनाम जदयू की सीधी लड़ाई का गवाह बनेगा. महागठबंधन की ओर से संभावना है कि सुरेंद्र यादव अपने बेटे को इस सीट से उम्मीदवार बनाएंगे, ताकि पारिवारिक पकड़ बरकरार रखी जा सके. दूसरी तरफ, एनडीए की ओर से मनोरमा देवी एक मजबूत दावेदार होंगी, जिन्होंने पिछले चुनाव में राजद के किले को ध्वस्त किया था.
चुनाव आयोग के 2024 के आंकड़ों के अनुसार, यहां की कुल जनसंख्या 5,79,595 है, जिसमें 2,47,158 पुरुष और 2,32,337 महिलाएं हैं. वहीं, मतदाताओं की बात करें तो 1,49,253
पुरुष मतदाता, 1,36,943 महिला मतदाता और 4 थर्ड जेंडर के मतदाता शामिल हैं.
बेलागंज में इस बार की लड़ाई काफी दिलचस्प होने वाली है. एक तरफ राजद अपने पुराने गढ़ को बचाने की कोशिश में है, तो दूसरी ओर जदयू अपनी उपचुनाव जीत को स्थायी बनाना चाहती है.
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पीएसके