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Mumbai , 18 नवंबर . Maharashtra के पूर्व मंत्री और एनसीपी नेता नवाब मलिक को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में बड़ा झटका लगा है. पीएमएलए की एक विशेष अदालत ने नवाब मलिक के खिलाफ आरोप तय कर दिया है. यह मामला साल 2022 के Enforcement Directorate (ईडी) के केस से जुड़ा है.
ईडी ने नवाब मलिक को फरवरी 2022 में गिरफ्तार किया था. आरोप है कि उन्होंने दाऊद इब्राहिम की बहन हसीना पारकर की मदद से Mumbai के कुर्ला में लगभग तीन एकड़ की जमीन को गलत तरीके से कब्जे में लिया. इस सौदे में 16 करोड़ रुपए की अपराध से जुड़ी रकम शामिल होने का आरोप है. फर्जी दस्तावेजों के इस्तेमाल का भी आरोप लगाया गया है.
दाऊद इब्राहिम की संपत्ति से जुड़े पीएमएलए मामले में एनसीपी नेता नवाब मलिक ने खुद को निर्दोष बताया, जिसके बाद विशेष पीएमएलए अदालत ने उनके खिलाफ आरोप तय कर दिया.
कोर्ट में सुनवाई के दौरान नवाब मलिक के वकील ने कहा था कि इस केस को लेकर हमने हाई कोर्ट में याचिका दायर की है. इस याचिका पर पिछली सुनवाई के दौरान एएसजी अनिल सिंह ने हाईकोर्ट से कहा था कि वो इस केस से जुड़े दस्तावेज आरोपी पक्ष को देंगे और तब तक चार्ज फ्रेम नहीं किया जाएगा.
वहीं, इससे पहले पीएमएलए की एक विशेष अदालत ने मलिक और उनकी कंपनी की ओर से दायर डिस्चार्ज याचिका को खारिज कर दिया है.
मलिक की कंपनी ‘मलिक इन्फ्रास्ट्रक्चर’ की ओर से डिस्चार्ज याचिका दायर की गई थी. कंपनी की ओर से कहा गया कि ईडी का पूरा मामला अंदाजों और अनुमान पर आधारित है, क्योंकि जिस समय कथित अवैध सौदा हुआ, उस समय कंपनी का अस्तित्व ही नहीं था.
कोर्ट ने कंपनी की दलीलों को खारिज करते हुए कहा कि मामले में पर्याप्त प्राथमिक सबूत मौजूद हैं. कोर्ट ने कहा कि शुरुआती जांच से यह स्पष्ट होता है कि नवाब मलिक ने डी-कंपनी से जुड़ी हसीना पारकर, सलीम पटेल और आरोपी सरदार खान के साथ मिलकर कुर्ला स्थित एक कीमती प्लॉट को अवैध रूप से कब्जे में लिया और फिर उसे मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए वैध बनाने की कोशिश की. इस प्लॉट में 16 करोड़ रुपए की अपराध से अर्जित धन शामिल बताया गया है.
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एसएके/डीकेपी