भूटान : वह देश जो अपनी सरजमीं पर नहीं पनपने देगा भारत विरोधी गतिविधियां

नई दिल्ली, 15 सितंबर . हिमालय की गोद में बसा एक छोटा सा देश भूटान अपने शांतिपूर्ण जीवन, प्राकृतिक सुंदरता और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के लिए दुनियाभर में प्रसिद्ध है. जहां परंपराओं और आधुनिकता का सुंदर मेल देखने के लिए मिलता है. जहां आर्थिक प्रगति से अधिक महत्वपूर्ण लोगों की खुशहाली मानी जाती है. यह देश है भूटान जो भारत को पड़ोसी मुल्क है, जिसके साथ भारत का रिश्ता कई दशकों से मजबूत रहा है.

भारत-भूटान संबंधों में 16 सितंबर का दिन काफी खास है. भारत के साथ अपने पुराने रिश्तों को और मजबूत करते हुए 16 सितंबर 2003 को भूटान ने भारतीय हितों के खिलाफ अपनी जमीन के इस्तेमाल नहीं होने देने का आश्वासन दिया था. सत्ता और सरकार की फेरबदल के बावजूद नेहरू युग से अब मोदी युग तक दोनों देशों के बीच संबंध अच्छे रहे हैं.

भूटान उन मुल्कों में से है, जो भारत विरोधी गतिविधियों पर नकेल कसने का माद्दा रखता है. उसके इस अहम रुख से ये साफ हो गया कि भूटान और भारत के बीच काफी अच्छी समझ है. दोनों देश एक दूसरे के हितों को अच्छी तरीके से समझते हैं. समय-समय पर एक दूसरे के मामलों को समझने और हल करने के लिए भारत और भूटान के बीच हर महीने में एक बार बैठक होती रही है. यह बैठक अब जरूरत के अनुसार कभी भी हो सकती है.

दोनों देशों के बीच रिश्ते की शुरुआत एक समझौते के साथ हुई थी. 1949 में हुए इस समझौते के तहत भारत ने भूटान की वो सारी जमीन उसे लौटा दी जो अंग्रेजों के अधीन थी. इस तरह दोनों देशों के बीच आपसी संबंध बेजोड़ और मैत्रीपूर्ण रहे हैं, जिनमें वर्ष के दौरान नियमित रूप से उच्च स्तरीय बैठक होती आई है. भारत भी बड़े भाई की तरह हर दुख सुख में भूटान के साथ खड़ा है.

भूटान के पास न अपनी वायु सेना है और न ही नौसेना. ऐसे में वहां सीमाओं की रक्षा के लिए भारत अपने सैनिक भूटान में भेजता है. भारतीय सैनिकों की भूटान में तैनाती आम है. भूटान जहां एक तरफ पूरी तरह भारत के साथ है, तो भारत भी उसके हितों की रक्षा के लिए कभी पीछे नहीं हटा है. भूटान पर्वतीय क्षेत्र है जहां अर्थव्यवस्था मुख्यतः कृषि प्रधान है.

एएमजे/एएस