पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या को लेकर भूपेश बघेल का सोशल मीडिया पोस्ट, मिला ऐसा जवाब

नई दिल्ली, 7 जनवरी . छत्तीसगढ़ के बीजापुर के पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या के बाद से ही राज्य का सियासी पारा चढ़ा हुआ है. एक तरफ इस मामले को लेकर कांग्रेस के नेता वहां सरकार के मंत्रियों और भाजपा नेताओं को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं और साथ ही वहां की पुलिस व्यवस्था पर भी सवाल खड़ा कर रहे हैं. वहीं इस हत्याकांड के मुख्य आरोपी सुरेश चंद्राकर का कांग्रेस के नेताओं से संबंध और उसका खुद कांग्रेस पार्टी में होने को लेकर भाजपा कांग्रेस को घेर रही है.

इस हत्याकांड में फरार चल रहे आरोपी ठेकेदार सुरेश चंद्राकर को एसआईटी की टीम ने हैदराबाद से गिरफ्तार कर लिया है. वहीं, दूसरी तरफ पुलिस ने सुरेश की पत्नी को कांकेर जिले से गिरफ्तार किया है.

इस सबके बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट लिखकर सरकार को घेरने की कोशिश की. भूपेश बघेल ने अपने पोस्ट में लिखा कि बड़े दुखी मन से कहना पड़ रहा है कि पत्रकार स्वर्गीय मुकेश चंद्राकर की मृत्यु के बाद भी सरकार ने अब तक उनके परिवार के लिए किसी भी प्रकार की सहायता राशि, नौकरी इत्यादि की घोषणा नहीं की है. यह तो गलत बात है. सरकार को संवेदनशील होना चाहिए.

इसके साथ ही भूपेश बघेल ने प्रदेश के सीएम पर निशाना साधते हुए आगे लिखा, ”न ही जनता को यह जवाब मिला है कि ठेकेदार सुरेश चंद्राकर 15 दिन पहले मुख्यमंत्री निवास आया था या नहीं? क्या पिछले 15 दिन के मुख्यमंत्री निवास के सीसीटीवी फुटेज और आगंतुक सूची सार्वजनिक किए जाएंगे या नहीं? यह सब बिंदु एसआईटी की जांच में शामिल होने ही चाहिए.”

इसके बाद सोशल मीडिया पर लोग जमकर भूपेश बघेल की इस पोस्ट पर टिप्पणी कर रहे हैं. सोशल मीडिया यूजर्स उनसे सवाल पूछ रहे हैं कि जिस सुरेश चंद्राकर को इस मामले में पुलिस ने गिरफ्तार किया है, वह तो कांग्रेस का प्रदेश समन्वयक है. जिसे अभी तक पद से हटाया नहीं गया है. सोशल मीडिया यूजर्स तो यहां तक लिख रहे हैं कि इससे कांग्रेस का दोहरा चरित्र सामने आ रहा है.

भूपेश बघेल के इस एक्स पोस्ट पर एक प्रतिक्रिया सीएम विष्णु देव साय के मीडिया सलाहकार पंकज कुमार झा ने एक-एक तथ्य उजागर करते हुए जवाब दिया. उन्होंने भूपेश बघेल के एक्स पोस्ट पर जवाब देते हुए लिखा कि, बड़े ही दुखी मन से कहना पड़ रहा है कि लगातार दुत्कारे जाने के बावजूद भी कांग्रेस ने ‘चोर से कहो चोरी कर, गृहस्वामी से कहो जागते रह’ की परिपाटी को छोड़ा नहीं है. बड़े ही दुखी मन से कहना पड़ रहा है कि कांग्रेस के बड़े नेता द्वारा एक प्रखर पत्रकार का कत्ल किए जाने के बाद अन्य कांग्रेसियों द्वारा घड़ियाली आसूं भी बहाए जा रहे हैं. कांग्रेस के एक विंग के प्रमुख, अनेक मामलों के प्रभारी रहे अपने नेता को गिरफ्तार होने के बाद भी छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने पार्टी से निष्कासित नहीं किया है.

इसके साथ ही उन्होंने पोस्ट में आगे लिखा कि बड़े ही दुःखी मन से कहना पड़ रहा है कांग्रेस ने एक प्रखर और मुखर पत्रकार का पहले न केवल बहिष्कार किया अपितु फिर कांग्रेस नेता ने उसकी बर्बर और नृशंस हत्या भी की.

बड़े ही दुख की बात है कि उसके बाद ऐसे युवा पत्रकार की, जिसकी हत्या पर देश रो रहा था, दुनिया ने निंदा की, लेकिन उनकी अंतिम यात्रा में भी शामिल होने का साहस कांग्रेस पार्टी का कोई नेता नहीं जुटा पाया, जबकि भूपेश बघेल सहित कांग्रेस के अनेक नेता उस दिन बस्तर में थे.

बड़े ही दुख की बात है कि कांग्रेस नेता द्वारा किए बर्बर, नृशंस और निर्दयी हत्या के बाद जश्न भी कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने मनाया. मुकेश चंद्राकर का पार्थिव शरीर अंतिम यात्रा के लिए उठा भी नहीं था, और उसी बस्तर में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष लड्डुओं से तौले जा रहे थे. आतिशबाजियां हो रही थी. गगन को भेद देने वाले नारे लगाए जा रहे थे. बड़े ही दुख की बात है कि एक भ्रष्ट और अनपढ़ कांग्रेसी ठेकेदार बस्तर को लूटकर अरबों की जायदाद बना लेता है. कांग्रेस शासन में हेलीकॉप्टर से बारात लाता है. अपने भ्रष्टाचार का रौब गांठने के लिए बड़े-बड़े कांग्रेसी नेताओं से गलबहियां करता है.

बड़े दुखी मन से कहना पड़ रहा है कि जांच की दिशा भटकाने और अपनी पार्टी के अपराधी को बचाने के लिए छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने एक खेल रचा, गलत दस्तावेज जारी करने अर्थात वर्षों पुरानी किसी अन्य कार्यक्रम की तस्वीर को भाजपा में प्रवेश वाली तस्वीर बताने की घृणित कोशिश करते वह रंगे ‘हाथ’ पकड़े गए. बड़े ही दुखी मन से कहना पड़ रहा है कि ऐसे दुर्दांत अपराधी के पीछे अपना ‘हाथ’ रख कर कांग्रेसी झूठ पर झूठ भी गढ़ते रहे.

बड़े ही दुखी मन से कहना पड़ रहा है कि रायपुर में प्रेस के मित्रों ने जब श्रद्धांजलि सभा आयोजित किया, तब भी दिवंगत पत्रकार को श्रद्धांजलि देने कांग्रेस का एक नेता तक वहां नहीं पहुंचा.

वहीं, इसके साथ ही सांत्वना राशि आदि के विषय पर भी पूर्व मुख्यमंत्री के नाम वाले प्रोफ़ाइल से घटिया हरकत हो रही है, जबकि आर्थिक सहायता और अन्य विषयों की घोषणा पहले ही हो चुकी है. बस ‘कितना, कैसे और किसे’ आदि पर विचार किया जा रहा है. ऐसा इसलिए क्योंकि उत्तर प्रदेश तक जाकर मुआवजे की घटिया राजनीति करने, प्रदेश में हजारों किसानों की हत्या पर मुंह तक नहीं खोलने, लेकिन लखीमपुर जाकर छत्तीसगढ़ का खजाना लुटा देने वाली घोषणा करने जैसा काम भाजपा सरकार नहीं करती है. प्राथमिकता पहले यह थी कि कांग्रेसी हत्यारे को पकड़ा जाए.

यूजर ने आगे अपने पोस्ट में लिखा कि जनता को अभी तक यह जवाब नहीं मिला है कि क्या दिल्ली में अपराधी अपने नेताओं के यहां तो नहीं गया था? प्रश्न यह है कि क्या पिछले माह भर का सीसीटीवी फुटेज सोनिया गांधी, प्रियंका गांधी, राहुल गांधी के यहां से जारी किया जा सकता है? करना चाहिए ताकि षड्यंत्रों की परत खुले.

बड़े ही संतोष की बात है कि अपराधी कांग्रेस नेता सुरेश आज सलाखों के पीछे है और घोषणा अनुसार ही तय समय सीमा में चालान आदि प्रस्तुत करने की कोशिश में एजेंसियां लगी है. हालांकि, इससे भी बड़े सुख की बात तब होगी जब कांग्रेस के बावजूद अपराधियों को उनके अंजाम तक पहुंचाया जाएगा.

जीकेटी/