भोपाल एम्स के जेपी शर्मा को हार्ट ट्रांसप्लांट के लिए भेजा चेन्नई, पीएमश्री एयर एंबुलेंस बनी संजीवनी

भोपाल, 22 मार्च . मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान के प्राध्यापक प्रो. (डॉ.) जेपी शर्मा को गंभीर अवस्था में हार्ट ट्रांसप्लांट के लिए पीएमश्री एयर एंबुलेंस सेवा के माध्यम से चेन्नई भेजा गया है.

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कहा है कि एम्स, भोपाल में प्राध्यापक के पद पर पदस्थ प्रो. (डॉ.) जेपी शर्मा को गंभीर अवस्था में हार्ट ट्रांसप्लांट के लिए मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान अंतर्गत पीएमश्री एयर एंबुलेंस सेवा के माध्यम से चेन्नई भेजा जा रहा है. वे अति गंभीर स्थिति में कंजेस्टिव कार्डियक फेलियर से पीड़ित हैं, जिसमें हार्ट ट्रांसप्लांट ही अंतिम विकल्प होता है. डॉ. शर्मा की गंभीर स्थिति संज्ञान में आते ही, तत्काल प्रभाव से उन्हें भोपाल से चेन्नई भिजवाने के लिए पीएमश्री एयर एम्बुलेंस सेवा उपलब्ध कराए जाने के निर्देश दिए गए. प्रदेश के प्रत्येक व्यक्ति की सेवा के लिए राज्य सरकार तत्पर है.

सीएम ने कहा कि पीएमश्री एयर एम्बुलेंस सेवा ऐसी गंभीर स्थितियों में देवदूत सिद्ध हो रही है. गंभीर मरीजों के लिए यह सेवा संकटमोचक बन रही है. बाबा महाकाल से सीएम ने डॉ. शर्मा के स्वास्थ्य लाभ की प्रार्थना की है. बताया गया है कि डॉ. शर्मा की तबीयत बिगड़ने की जानकारी मिलते ही मुख्यमंत्री यादव की ओर से एयर एंबुलेंस का इंतजाम करने के निर्देश दिए गए. उसके बाद उन्हें चेन्नई के लिए भेजा गया.

बता दें कि राज्य सरकार द्वारा बेहतर चिकित्सा सुविधा मुहैया कराने के मकसद से पीएमश्री एयर एम्बुलेंस सेवा शुरू की गई है. इसका लाभ प्रदेश के गरीब तबके से नाता रखने वाले परिवारों को भी मिल रहा है. छोटे शहरों के मरीज उपचार के लिए इस सेवा का लाभ लेकर बड़े शहरों के प्रमुख अस्पतालों में उपचार करा पा रहे हैं और उनके जीवन की रक्षा हो रही है.

उल्लेखनीय है कि भोपाल में हृदय रोगी जेपी शर्मा को समय पर इलाज उपलब्ध कराने के लिए एक ग्रीन कॉरिडोर बनाया गया. इस कॉरिडोर के जरिए गंभीर हालत में भर्ती एक मरीज को भोपाल के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) से एयरलिफ्ट कर चेन्नई एम्स पहुंचाया गया. यातायात पुलिस भोपाल ने एम्स अस्पताल से हवाई अड्डे तक इस विशेष कॉरिडोर का निर्माण किया, जिसके तहत व्यस्ततम ट्रैफिक के दौरान 24 किलोमीटर की दूरी को महज 16 मिनट में तय किया गया. इस व्यवस्था ने मरीज को समय पर चेन्नई पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई, जहां उसे बेहतर इलाज मिल सकेगा.

इस ग्रीन कॉरिडोर को सफल बनाने के लिए यातायात पुलिस ने अपनी पूरी ताकत झोंक दी. इसमें 1 सहायक पुलिस आयुक्त, 4 निरीक्षक, 5 उप-निरीक्षक, 10 सहायक उप-निरीक्षक और 55 प्रधान आरक्षक/आरक्षक सहित कुल 75 अधिकारियों और कर्मचारियों की टीम ने हिस्सा लिया. अधिकारियों ने ट्रैफिक को नियंत्रित कर एंबुलेंस के लिए निर्बाध रास्ता सुनिश्चित किया.

एसएनपी/पीएसके