भारत सनातन राष्ट्र, इसे कुछ बनाने की जरूरत नहीं : आचार्य प्रमोद कृष्णम

नई दिल्ली, 21 नवंबर . कर्नाटक विधान परिषद के सदस्य और मुख्यमंत्री सिद्दारमैया के बेटे यतीन्द्र सिद्दारमैया ने हिंदुत्व को देश के लिए “खतरनाक” बताकर राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है. कांग्रेस के पूर्व नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा कि भारत पहले से ही सनातन राष्ट्र है.

यतींद्र सिद्दारमैया ने कहा कि भारत अगर हिंदू राष्ट्र बना तो देश का हाल पाकिस्तान और अफगानिस्तान जैसा हो जाएगा.

आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा, “मेरा मानना है कि सनातन शुरुआत भारत से हुई है. सनातन और भारत को अलग करके नहीं देखा जा सकता. भारत सनातन राष्ट्र है और इसे कुछ बनाने की जरूरत नहीं है. सनातन सबके कल्याण की कामना करता है.”

भाजपा नेता सुधांशु त्रिवेदी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तुलना पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पं. जवाहर लाल नेहरू से की है. इस संबंध में पूछे जाने पर आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा, “देश में जितने प्रधानमंत्री हुए हैं, मैं सबका सम्मान करता हू. सबने अपने-अपने तरीके से इस देश की सेवा की है, लेकिन पीएम नरेंद्र मोदी ने भारत को गौरवान्वित करने का काम किया है. ऐसे में उन जैसा प्रधानमंत्री देश में न कभी हुआ न होगा.”

छत्तीसगढ़ में मस्जिदों में जुमे की नमाज के बाद दिए गए भाषण पर आचार्य प्रमोद कृष्णम ने कहा कि यह महत्वपूर्ण है कि धार्मिक स्थलों से किसी विशेष पार्टी का समर्थन या विरोध न किया जाए. देश के लोकतंत्र के लिए सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों जरूरी हैं. कुछ राजनीतिक दल, खासकर विपक्षी दल, देश को धर्म और जाति के आधार पर बांटना चाहते हैं. आज दिल्ली संत महामंडल कार्यक्रम में तमाम प्रस्ताव पास किए गए हैं. मुगलिया समय में औरंगजेब, बाबर तैमूर के जमाने में हमारे सनातन के मंदिरों को तोड़कर जो मस्जिद बनाया गया, उसे हम वापस चाहते हैं.

उन्होंने आगे कहा कि भगवान एक बार फिर कल्कि अवतार के रूप में धरती पर आएंगे, जैसा कि हमारे पुराणों में बताया गया है. जिस स्थान पर भगवान कल्कि अवतार लेंगे, वहां उनके अवतार से पहले श्री कल्कि धाम की स्थापना की गई थी. इस साल 19 फरवरी को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने हाथों से इसकी आधारशिला रखी थी. हालांकि आज यहां पारित प्रस्ताव मुख्य रूप से प्रस्तावित श्रीकृष्ण भूमि, ज्ञानवापी और संभल में हरिहर मंदिर पर केंद्रित हैं, जिन्हें मस्जिद बनाने के लिए तोड़ दिया गया था. हम किसी मस्जिद के खिलाफ नहीं हैं. हम किसी के धार्मिक स्थल पर अतिक्रमण करना चाहते हैं. हालांकि औरंगजेब और बाबर के समय में मस्जिद बनाने के लिए तोड़े गए मंदिरों को पुनः प्राप्त किया जाना चाहिए और उस पर निर्णय लिया जाना चाहिए.

एकेएस/एकेजे