नागपुर, 31 मार्च . राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के पूर्व सर कार्यवाह भैयाजी जोशी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नागपुर दौरे की सराहना की. शनिवार को पीएम मोदी ने यहां कई कार्यक्रमों में हिस्सा लिया, जिसमें माधव नेत्रालय का शिलान्यास भी शामिल था.
भैयाजी जोशी ने कहा, “कार्यक्रम बहुत अच्छा रहा. हम सब खुश हैं. पीएम मोदी पहले से ही सेवा कार्यों में रुचि रखते हैं. यह हम सालों से देखते आ रहे हैं. कोरोना काल में भी उन्होंने ऐसे कामों को प्रोत्साहन दिया था. उनका यहां आना और शिलान्यास करना माधव नेत्रालय की प्रगति को बढ़ाएगा. वे स्वयंसेवक और कार्यकर्ता के रूप में आए और महापुरुषों को श्रद्धांजलि दी.”
उन्होंने संगठन के ढांचे को साफ करते हुए कहा कि यहां पद और परंपरा तय करती है, न कि कोई व्यक्तिगत चयन.
औरंगजेब के मुद्दे पर भी भैयाजी जोशी ने अपनी राय रखी. उनका कहना था, “औरंगजेब का विषय बिना वजह उठाया जा रहा है, जो ठीक नहीं है. उनकी मृत्यु यहां हुई, तो लोग उनकी कब्र पर जाएंगे. यह उनकी श्रद्धा है. जो जाना चाहते हैं, वे जाएं. इसमें कोई बड़ी बात नहीं है.”
जोशी ने इस मुद्दे को अनावश्यक विवाद बताते हुए इसे तूल न देने की सलाह दी.
पीएम मोदी के दौरे से नागपुर में उत्साह का माहौल रहा. उनके इस दौरे को संघ से जुड़े लोग सेवा और विकास की दिशा में बड़ा कदम मान रहे हैं. जोशी ने मोदी की कार्यशैली की तारीफ करते हुए कहा कि वे हमेशा से समाज सेवा को बढ़ावा देते रहे हैं.
बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रविवार को नागपुर दौरे पर थे, जहां उन्होंने राष्ट्रीय सेवक संघ को आधुनिक भारत का अक्षय वट बताया था. उन्होंने कहा था कि यह निरंतर भारतीय संस्कृति और राष्ट्रीय चेतना को ऊर्जा प्रदान कर रहा है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की तारीफ करते हुए कहा था, “हमारा शरीर परोपकार और सेवा के लिए ही है. जब सेवा संस्कार बन जाती है, तो साधना बन जाती है. यही साधना हर स्वयंसेवक की प्राणवायु होती है. यह सेवा संस्कार, यह साधना, यह प्राणवायु, पीढ़ी दर पीढ़ी हर स्वयंसेवक को तप और तपस्या के लिए प्रेरित करती है. उसे न थकने देती है और न ही रुकने देती है. हमारे संतों ने हमारी राष्ट्रीय चेतना को एक नई ऊर्जा दी. स्वामी विवेकानंद ने निराशा में डूब रहे समाज को झकझोरा और आशा का संचार किया. गुलामी के कालखंड में डॉक्टर साहब और गुरुजी ने नया विचार दिया. आज महान वटवृक्ष के रूप में आरएसएस दुनिया के सामने है. ये कोई साधारण वटवृक्ष नहीं, बल्कि भारत की अमर संस्कृति का अक्षयवट है, जो निरंतर भारतीय संस्कृति और राष्ट्रीय चेतना को ऊर्जा प्रदान कर रहा है.”
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एसएचके/केआर