मुंबई, 29 नवंबर . महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महाविकास अघाड़ी को करारी हार का सामना करना पड़ा है. इस बीच महाराष्ट्र कांग्रेस के नेता भाई जगताप ने से बातचीत की. उन्होंने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव, महाराष्ट्र के अगले मुख्यमंत्री, ईवीएम सहित अन्य मुद्दों पर प्रतिक्रिया दी.
सवाल- केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से देवेंद्र फडणवीस, अजित पवार और एकनाथ शिंदे ने मुलाकात की?
जवाब- विधानसभा चुनाव के परिणाम के दिन यह लोग बड़ी-बड़ी बातें कर रहे थे. 24 नवंबर को शिवाजी पार्क में शपथ ग्रहण होगा. विधानसभा का कार्यकाल 26 नवंबर को खत्म हो चुका है. लेकिन, अब तक महाराष्ट्र को मुख्यमंत्री नहीं मिला है. यह बहुत ही शर्म की बात है. भाजपा की कथनी और करनी में बहुत फर्क होता है. चुनाव परिणाम आए लगभग 6 दिन हो गए. अब तक सीएम फेस तय नहीं हो पाया है. भाजपा चुनाव में बटेंगे तो कटेंगे जैसा नारा देती है. हिन्दुस्तान में 90 फीसदी हिन्दू हैं. किसी ओर देश के लिए कहा जाता जहां हिन्दू की संख्या कम होती तो समझ में बात आती.
सवाल- महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के परिणाम को लेकर आप भी आश्चर्यचकित थे?
जवाब- राजनीति में मुझे 45 से साल से ज्यादा का समय बीत गया है. इस तरह के नतीजे नहीं देखे. मैंने पहले भी कहा है और आज भी कहता हूं कि यह केवल ईवीएम का खेल है. कांग्रेस ने एक स्टैंड लिया है कि ईवीएम की बजाय बैलेट पेपर से चुनाव कराए जाएं. हमारा बहुत बड़ा लोकतंत्र है. उस लोकतंत्र पर सवाल उठता है तो बिल्कुल जवाब चुनाव आयोग और सरकार को देना होगा. चुनाव आयोग का गलत इस्तेमाल किया जा रहा है. भाजपा ने जिन लोगों पर आरोप लगाए, आज वह उनके मंत्री हैं. लोकतंत्र के लिए यह घातक है. अगर केंद्र सरकार को अपने नेतृत्व पर भरोसा है तो बैलेट पेपर से चुनाव करा लीजिए. 150 करोड़ों लोगों को इसकी सच्चाई बता दीजिए.
सवाल- कांग्रेस जहां हारती है वहां ईवीएम का मुद्दा क्यों उठाती है?
जवाब- मैं यह नहीं कह रहा हूं कि ईवीएम को हैक किया गया. ईवीएम सेट की गई है, ईवीएम से छेड़छाड़ की गई है. हैकिंग, सेटिंग और छेड़छाड़ में अंतर है और हमें यह समझने की जरूरत है कि यह उतना आसान नहीं है, जितना लगता है. अगर कोई मशीन सेट करना चाहता है, तो वह चुनिंदा तरीके से ऐसा कर सकता है. यह कोई बड़ी बात नहीं है. मध्यप्रदेश के विधानसभा चुनाव में सबसे पहले भाजपा को ईवीएम सेटिंग में सफलता मिली. मध्यप्रदेश में व्यापमं जैसा बड़ा घोटाला हुआ. आज स्थिति यह है कि 32 गवाहों की मौत हो चुकी है. देश के लोकतंत्र का अगर यह हाल है तो कहीं न कहीं शंका पैदा होती है. झारखंड और जम्मू-कश्मीर में ईवीएम इसलिए सेट नहीं करते क्योंकि उन्हें पता है कि अगर ऐसा किया तो वहां की जनता तुरंत सड़कों पर आ जाएगी. महाराष्ट्र विधानसभा में भी भाजपा ने चिन्हित कर ईवीएम को सेट किया. मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र में आने वाली विधानसभा में ईवीएम सेट नहीं किया गया था. क्योंकि, उन्हें पता था कि अगर करेंगे तो बवाल हो सकता है. केंद्र सरकार का एक काम ऐसा नहीं है साल 2014 के बाद, जिससे गरीबों, किसानों का फायदा हुआ है. यह देश बर्बाद हो चुका है. महिलाओं की सुरक्षा के लिए कुछ नहीं किया है.
सवाल- उद्धव ठाकरे गुट के नेता अंबादास दानवे ने कहा है कि कांग्रेस को ओवर कॉन्फिडेंस है?
जवाब- सभी को ओवर कॉन्फिडेंस था. महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के बाद अगर शिवसेना के विधायक ज्यादा हैं तो मैं पूछना चाहता हूं कि क्या कांग्रेस ने मदद नहीं की. कांग्रेस के कम विधायक हैं. लेकिन, यहां शिवसेना से मदद मिली. लोकसभा चुनाव के बाद हम लोगों को एक दूसरे का हाथ पकड़ कर चलना चाहिए था. अंबादास दानवे जो कह रहे हैं मैं मानता हूं कि हम लोग ओवर कॉन्फिडेंस में रह गए. मुख्यमंत्री को लेकर तरह-तरह की बात हो रही थी. ईवीएम के खेल से हम ज्यादा दुखी हैं.
सवाल- विधानसभा चुनाव के परिणाम के बाद जिस तरह से बयान आ रहे हैं क्या महाविकास अघाड़ी में सबकुछ ठीक है?
जवाब- चुनाव परिणाम के बाद सभी को आत्म निरीक्षण करना चाहिए. जब इस तरह का बुरा वक्त आता है तो नेताओं को इस तरह की बात नहीं करनी चाहिए. कार्यकर्ताओं का एक मनोबल होता है, जब मनोबल टूटता है तो वह इस तरह की बात करता है. राहुल गांधी, उद्धव ठाकरे, मल्लिकार्जुन खड़गे इस तरह की बयानबाजी नहीं कर रहे हैं.
सवाल- ‘एक हैं तो सेफ हैं’ इसका असर विधानसभा चुनाव में हुआ?
जवाब- लाडली बहन योजना को थोड़ा असर जरूर था. लेकिन, मैं चुनाव के दौरान जहां भी गया मुझे कई ऐसे लोग मिले जो कह रहे थे कि हम पैसा क्यों नहीं लेंगे, इनसे पैसा लेंगे. लेकिन वोट नहीं देंगे.
सवाल- अजमेर दरगाह पर शिव मंदिर होने का दावा किया जा रहा है?
जवाब- मैं समझता हूं कि इस देश में जिन चीजों को वर्षों से मान्यता है, हमें उसका सम्मान करना चाहिए. अंग्रेजों द्वारा बनाए गए इमारत भी तोड़े जाएंगे. अजमेर शरीफ पर सबसे ज्यादा हिन्दू लोग जाते हैं. मौजूदा प्रधानमंत्री से लेकर पूर्व के प्रधानमंत्री वहां गए हैं. यह सिर्फ लोगों का ध्यान भटकाने का काम कर रहे हैं.
सवाल- पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड ने कहा है कि भारत पाकिस्तान मैच खेलने नहीं जाएगा तो पाकिस्तान की क्रिकेट टीम भी भारत नहीं जाएगी?
जवाब- मैं क्रिकेटर रहा हूं, कॉलेज के दिनों में मैं क्रिकेट खेलता था. लेकिन, क्या यह खेल भावना है. खेल में कोई राजनीति नहीं होनी चाहिए. यह सिर्फ भारत में नहीं पाकिस्तान में भी लागू होती है. पाकिस्तान में हमारी फिल्में नहीं दिखाई जाती. हम भी नहीं दिखाते हैं. खेल की एक भावना होती है. खेल में किसी भी प्रकार की राजनीति नहीं होनी चाहिए.
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डीकेएम/जीकेटी